मुम्बई (आई-ग्रेन इंडिया)। जीरा वायदा बाजार का परिदृश्य आगे भी बेहतर नजर आ रहा है। फिलहाल वायदा एक्सचेंज में इसका भाव 42000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। मुनाफावसूली के कारण कीमतों में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकता है। आगामी महीनों में यदि अल नीनो मौसम चक्र का खतरा सामने आया तो बाजार पर सकारात्मक मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा। जीरा रबी कालीन मसाला फसल है इसलिए तत्काल इसकी खेती पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन मानसून की बारिश यदि सामान्य से कम हुई तो अक्टूबर-नवम्बर में इसकी बिजाई प्रभावित हो सकती है। इस बार उत्पादन एवं स्टॉक कम है। घरेलू तथा निर्यात मांग मजबूत बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में आवक कम हो रही है जबकि अब चीन सहित कुछ अन्य देशों के आयातक इसकी खरीद में अच्छी सक्रियता दिखा सकते हैं जो अब तक कीमतों में नरमी आने का इंतजार कर रहे थे। दीर्घ कालीन अवधि में जीरा का वायदा भाव उछलकर पहले 45000 रुपए प्रति क्विंटल और अंत में 50,000 रुपए प्रति क्विंटल के शीर्ष स्तर पर पहुंचने का अनुमान कुछ विश्लेषक लगा रहे हैं।
जहां तक हल्दी और धनिया का सवाल है तो इसका कारोबार भी अच्छा होने की उम्मीद है। इसका दाम नीचे है इसलिए इसके आयात में विदेशी खरीदारों की दिलचस्पी बढ़ सकती है और मजबूत निर्यात मांग के सहारे इसकी कीमतों में सुधार आ सकता है। आगामी महीनों के दौरान वायदा बाजार में धनिया का दाम 7000/7500 रुपए प्रति क्विंटल तथा हल्दी का भाव 7500/8000 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। आमतौर पर ग्रीष्मकाल में मसालों की मांग एवं खपत बढ़ जाती है। इस बार भी ऐसा होने की उम्मीद की जा सकती है। लेकिन आपूर्ति की स्थिति कुछ जटिल बनी रहेगी और गरम मसाला में मिश्रण के लिए इसका अभाव हो सकता है। धनिया की मांग भी बढ़ने की संभावना है। स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से हल्दी की खपत बढ़ने का अनुमान है। 36,000/37,000 रुपए प्रति क्विंटल के मूल्य स्तर पर जीरा की खरीद (वायदा में) करने पर व्यापारियों को आगे अच्छा फायदा हो सकता है। इसी तरह हल्दी की खरीद के लिए 6000/6200 रुपए प्रति क्विंटल तथा धनिया की कीमतों के लिए 5800/6000 रुपए प्रति क्विंटल का मूल्य स्तर सही हो सकता है।