पुणे (आई-गग्रेन इंडिया)। महाराष्ट्र के प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रों में सरकारी अधिकारियों ने दलहन प्रोसेसिंग इकाइयों (दाल मिलों) में स्टॉक का भौतिक सत्यापन आरंभ कर दिया है। गत 15 अप्रैल को केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों ने एक दर्जन दाल प्रोसेसिंग केन्द्रों पर जाकर स्थिति का पता लगाया था और उसके बाद सत्यापन की प्रकिया शुरू हो गई। इससे दाल मिलर्स एवं व्यापारिक समुदाय में घबराहट फ़ैल गई है और वे अदालती मुकदमे तथा कानूनी कार्रवाई की आशंका से सहमे हुए हैं।
दरअसल सरकार दलहनों और खासकर तुवर एवं उड़द के स्टॉक की वास्तविक जानकारी हासिल करना चाहती है क्योंकि इन दोनों दलहनों का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहा है। उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा- देश के विभिन्न भागों में तुवर के स्टॉक की चेकिंग की जा रही है। सरकारी पोर्टल पर व्यापारियों- स्टॉकिस्टों, मिलर्स एवं आयातक को अपने दलहन स्टॉक का विवरण साप्ताहिक आधार पर अपलोड करने का अनिवार्य निर्देश दिया गया है लेकिन स्टॉक का संतोषजनक विवरण सामने नहीं आने से सरकार नाखुश है और इसलिए जगह-जगह स्टॉक की चेकिंग का विशेष अभियान चला रही है।
बेशक तुवर के घरेलू उत्पादन में इस बार गिरावट आई है क्योंकि अक्टूबर-नवम्बर 2022 में महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे- शीर्ष उत्पादक राज्यों में मूसलाधार वर्षा होने तथा खेतों में पानी जमा हो जाने से फसल आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बावजूद सरकार को लगता है कि इस समय मंडियों में अच्छी मात्रा में तुवर एवं उड़द की आपूर्ति होनी चाहिए थी जो नहीं हो रही है। कीमतों में तेजी के रुख को देखते हुए बड़े-बड़े उत्पादकों ने तुवर का स्टॉक दबाना शुरू कर दिया मगर सरकार को शक है कि व्यापारियों-स्टॉकिस्टों एवं मिलर्स के साथ-साथ आयातकों ने भी इसका स्टॉक दबा रखा है।
महाराष्ट्र तुवर का प्रमुख उत्पादक राज्य है इसलिए वहां इसका अच्छा खासा स्टॉक मौजूद होने की संभावना है। केन्द्र सरकार विदेशों से आयातित तुवर के मूवमेंट पर भी नजर रख रही है क्योंकि उसे प्रतीत होता है कि इसकी कुल अनुबंधित मात्रा एवं बाजार में वास्तविक आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अन्तर बना हुआ है।