नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। देश के विभिन्न हिस्सों में बीते कुछ महीनों में युवा और स्वस्थ्य दिखने वाले व्यक्तियों की अचानक हार्ट अटैक से मौतें हुई हैं। देश में नए कोविड वैरिएंट जेएन1 के मामले बढ़ने के साथ-साथ मौतों की संख्या बढ़ने से लाखों लोग असमंजस में हैं।फिटनेस की चाहत में एक हैरान करने वाला विरोधाभास सामने आया है, जिससे खासकर एक्सरसाइज (व्यायाम) करने वालों में काफी घबराहट है।
सोशल मीडिया पर मुंबई के सर एच.एन. रिलायंस (NS:RELI) फाउंडेशन हॉस्पिटल के रिहैबिलिटेशन एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन के निदेशक डॉ. आशीष कॉन्ट्रैक्टर के अनुसार, युवा और फिट व्यक्तियों में होने वाली कुछ मौतों के लिए ज्यादा एक्सरसाइज को जिम्मेदार ठहराया जाना आम बात है।
डॉक्टर ने आईएएनएस को बताया, ''यह ध्यान रखना ज्यादा जरूरी है कि स्वस्थ हृदय (हार्ट) वाले किसी व्यक्ति की अचानक हार्ट अटैक से मौत बहुत कम होती है। एक्सरसाइज उन व्यक्तियों में हार्ट संबंधी घटना के लिए ट्रिगर हो सकता है जिन्हें अज्ञात या मौन हार्ट रोग है, लेकिन यह लगभग कभी भी इसका कारण नहीं होता है।''
हालांकि, हाल ही में एक्सरसाइज के बाद लोगों की मौत की संख्या ज्यादा मेहनत के जोखिम पर विचार करने को प्रेरित करती है।
पुणे के पिंपरी में डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दिग्विजय डी नलवाडे ने कहा, "प्रभावशाली फिटनेस उत्साही, सोशल मीडिया के माध्यम से आदर्शों को आकार देते हुए, ऐसे मानक स्थापित करते हैं जो कभी-कभी चरम सीमा पर पहुंच जाते हैं।"
नोएडा के मेट्रो हॉस्पिटल में कार्डियक कैथ लैब के ग्रुप डायरेक्टर, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीर गुप्ता ने कहा कि बहुत से लोग एक्सरसाइज जरूरत से ज्यादा कर रहे हैं, जिससे उन्हें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, ''एक्सरसाइज करने के बाद व्यक्तियों में स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने या उनकी जान जाने की घटनाओं के कई संभावित कारण हैं। सोशल मीडिया पर फिटनेस रुझान और एक्सरसाइज के दौरान बताई गई डाइट अवास्तविक लक्ष्यों में योगदान दे सकती है।
एक्सरसाइज के शौकीनों को साथियों के दबाव, तत्काल संतुष्टि की जरूरत और अपनी सीमाओं की समझ की कमी के कारण चरम सीमा तक ले जाया जा सकता है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि वर्कआउट के दौरान होने वाले कार्डियक अरेस्ट की बढ़ती संख्या हृदय संबंधी कई समस्याओं से संबंधित हो सकती है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो हर रोज एक्सरसाइज के आदी नहीं हैं, अचानक और तेज शारीरिक प्रयास हृदय प्रणाली पर तनाव डाल सकते हैं।
डॉक्टर ने कहा, "यह इस बात पर जोर देता है कि विशेषज्ञों से मेडिकल सलाह लेना, व्यापक स्वास्थ्य मूल्यांकन से गुजरना और फिटनेस गतिविधियों में शामिल होने पर हृदय स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक्सरसाइज की रफ्तार को धीरे-धीरे बढ़ाना कितना जरूरी है।"
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि व्यक्ति को हाई स्तर की बेहिसाब मेहनत से बचना चाहिए। सामान्य नियम यह है कि एक्सरसाइज हर दिन पिछले एक्सरसाइज से 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
शोध से पता चला है कि कई दशकों तक बहुत अधिक मात्रा में एक्सरसाइज करने से हृदय की मांसपेशियों में कुछ बदलाव हो सकते हैं। साथ ही कोरोनरी धमनियों में कैल्शियम जमा हो सकता है।
डॉ. आशीष ने कहा कि एक्सरसाइज की मात्रा को परिभाषित नहीं किया गया है। इन परिवर्तनों के परिणामों को पूरी तरह से समझा नहीं गया है। हालांकि, स्वास्थ्य लाभ हासिल करने के लिए मीडियम एक्सरसाइज ही सही रास्ता है।
वहीं डॉ. गुप्ता का कहना है कि शक्ति प्रशिक्षण, लचीलापन प्रशिक्षण और हृदय संबंधी गतिविधियों को फिटनेस दिनचर्या में शामिल किया जाना चाहिए। मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियों के अलावा प्रति सप्ताह 75 मिनट की एरोबिक गतिविधि या कम से कम 150 मिनट की मीडियम रफ्तार वाली एरोबिक गतिविधि का लक्ष्य रखें। हृदय स्वास्थ्य को फिटनेस कार्यक्रम द्वारा बढ़ाया जा सकता है जिसमें शक्ति प्रशिक्षण और एरोबिक गतिविधियां शामिल हैं।
डॉ. नलवाडे ने कहा कि व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी एक्सरसाइज की दिनचर्या शुरू करने या उसमें महत्वपूर्ण बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टरों से सलाह लें।
--आईएएनएस
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