बीजिंग, 7 फरवरी (आईएएनएस)। हजारों वर्षों की चीनी सभ्यता ने समृद्ध अर्थों वाली महाकाव्य कहानियों को जन्म दिया है। उनमें राजा गेसार की जीवनी शामिल है, जो तिब्बत पठार पर पैदा हुई। वर्ष 2009 में इस महाकाव्य को संयुक्त राष्ट्र संघ की मानव जाति की गौरभौतिक सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया, जिसे पूर्व का "होमर महाकाव्य" कहा गया। राजा गेसार की जीवनी अब तक मानव जाति के पास सबसे लंबा और सबसे व्यापक "जीवित" महाकाव्य है। इसमें राजा गेसार की जान बचाने, राक्षसों को हराने, लोगों को लाभ पहुंचाने और सुंदर घर बनाने की कहानी सुनाई जाती है।
महाकाव्य राजा गेसार की जीवनी का जन्म प्राचीन तिब्बती जनजातीय समाज काल में हुआ था, जो मुख्य रूप से तिब्बती और मंगोलिया जातीय लोगों द्वारा बनाई गई। राजा गेसार की जीवनी लिखित महाकाव्य नहीं, बल्कि तमाम लोक रैप कलाकारों द्वारा अपने मुंह से गायी जाती है। वे पठारों, पर्वतों और नदी घाटियों में घूमते हुए गाते हैं और कहानी को हजारों वर्षों तक प्रचार करते हैं।
अनुमान है कि महाकाव्य राजा गेसार की जीवनी के 120 से अधिक भाग हैं और कविता की 10 लाख से अधिक पंक्तियां हैं। इसे दो करोड़ से अधिक शब्दों का चीनी अक्षरों में अनुवाद किया गया है।
प्राचीन महाकाव्यों की तुलना में राजा गेसार की जीवनी की लंबाई महाभारत से कई गुना और "होमर महाकाव्य" से दर्जनों गुना ज्यादा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य माना जाता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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