नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विश्वास जताया है कि 4 जून को देश में इंडिया गठबंधन की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनेगी। केंद्र में सरकार आने पर कांग्रेस के घोषणा पत्र में दी गई गारंटियों और न्याय पत्र की घोषणाओं को पूरा किया जाएगा। इंडिया गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री कौन होगा, इस पर खड़गे का कहना है कि गठबंधन के सभी दल मिलकर इस विषय पर चर्चा करेंगे। सभी दलों की सहमति से प्रधानमंत्री चुना जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने दिल्ली में कहा कि हमें विश्वास है कि 4 जून को जनता एक नई वैकल्पिक सरकार का जनादेश देगी। इंडिया गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलेगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, इस पर खड़गे ने कहा कि उन्होंने कभी अपने लिए कुछ नहीं मांगा है। कांग्रेस ने 1 जून को इंडिया गठबंधन की मीटिंग बुलाई है।
कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि यह एक अनौपचारिक मीटिंग है। इस मीटिंग में फार्म 17सी और मतगणना की तैयारी पर चर्चा की जाएगी। खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान महंगाई और बेरोजगारी के बारे में एक शब्द नहीं कहा, जबकि पिछले 15 दिनों में 232 बार कांग्रेस का नाम लिया और 758 बार मोदी शब्द का प्रयोग किया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि बीते 15 दिनों में प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में 573 बार इंडिया गठबंधन का नाम लिया। 421 बार मंदिर, मस्जिद की बात की। 224 बार मुस्लिम, पाकिस्तान, अल्पसंख्यकों की बात की। लंबे समय तक यह चुनाव याद रखा जाएगा। यह चुनाव इसलिए याद रहेगा क्योंकि इस चुनाव में देश का हर नागरिक धर्म, जाति, पंथ, क्षेत्र, लिंग और भाषा को भूलकर लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए एक साथ आया है। प्रधानमंत्री और भाजपा के प्रमुख नेताओं ने चुनाव के दौरान धार्मिक और विभाजनकारी मुद्दों से लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 80-90 देश में महात्मा गांधी की मूर्ति है, फिर भी अगर कोई कहता है कि फिल्म देखकर महात्मा गांधी के बारे में पता लगा तो यह सुनकर हंसी आती है। जिन्हें महात्मा गांधी के बारे में ज्यादा पता नहीं है तो उन्हें संविधान के बारे में भी अधिक पता नहीं होगा। गांधी हमेशा अहिंसा की राजनीति करते थे। महात्मा गांधी ने कभी किसी से नफरत नहीं की। आज मोदी जी की सारी कोशिशें नफरत से भरी है।
खड़गे ने कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस के खाते फ्रीज कर दिए गए। कुछ दूसरी पार्टियों के साथ भी इसी प्रकार का व्यवहार किया गया। किसी सत्ताधारी दल ने इससे पहले ऐसा नहीं किया था। संसद में भी ऐसा ही देखने को मिला। संसद में विपक्ष को बोलने नहीं दिया गया। विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया। सरकार के इसी रवैया से हमारे शक की पुष्टि हुई कि सरकार तानाशाही की ओर बढ़ रही है।
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