iGrain India - वारंगल । हालांकि केन्द्र सरकार ने कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गत वर्ष की तुलना में 7 प्रतिशत बढ़ाकर इस बार मध्यम रेशेवाली किस्म का 7121 रुपए प्रति क्विंटल तथा लम्बे रेशेवाली श्रेणी का 7521 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है मगर उत्पादकों को इस मूल्य पर अपना उत्पाद बेचने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। दरअसल रूई में नमी के अंश के आधार पर एमएसपी में कटौती की जा रही है।
सरकारी एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) किसानों से केवल वही रूई खरीदती है जिसमें नमी का अंश 8 से 12 प्रतिशत के बीच हो। शेष रूई की खरीद व्यापारियों द्वारा सस्ते दाम पर खरीदी जा रही है।
गुजरात और महाराष्ट्र के बाद तेलंगाना देश में कपास का तीसरा सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वहां कपास का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 55 लाख एकड़ से घटकर इस बार 44 लाख एकड़ पर सिमट गया जबकि कुछ क्षेत्रों में बाढ़-वर्षा से भी फसल को नुकसान हुआ। असामयिक वर्षा से रूई की क्वालिटी पर असर पड़ा है।
केन्द्रीय एजेंसी-सीसीआई द्वारा 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में 12.50 लाख टन तथा प्राइवेट व्यापारियों द्वारा लगभग 16 लाख टन रूई की खरीद की गई थी।
तेलंगाना से रूई की खेप कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों को भेजी गई जबकि कुछ उत्पादकों ने तो अपना स्टॉक अहमदाबाद (गुजरात) तक भेज दिया।
सरकारी एजेंसी इस बार 12 प्रतिशत से अधिक नमी वाली रूई नहीं खरीद रही है जबकि प्राइवेट व्यापारी उसके लिए 6600-6700 रुपए प्रति क्विंटल से ऊंचे मूल्य का ऑफर देने के लिए तैयारी नहीं है। इससे उत्पादकों की परेशानी और चिंता बढ़ गई है।