iGrain India - नई दिल्ली । स्वदेशी खाद्य तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण संगठन- इंडियन वैजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) ने खाद्य तेल-तिलहनों में वायदा कारोबार पर लगी रोक को हटाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि मूल्य जोखिम प्रबंधन में सुधार लाने तथा किसानों को बेहतर वापसी सुनिश्चित करने के लिए यह जरुरी है।
आर्थिक संस्थानों की रिपोर्ट में अक्सर इस हकीकत का खुलासा किया जाता है कि जिंसों में वायदा कारोबार से कृषि क्षेत्र की सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला लाभान्वित होती है और किसानों को फसलों का क्षेत्रफल तथा उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दो वर्ष से अधिक समय से सोयाबीन एवं इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों, पाम ते एवं सरसों आदि में वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
जिस समय यह रोक लगाई गई थी तब इसका भाव काफी ऊंचा एवं तेज हो गया था इसलिए इस पर पाबंदी लगाने की आवश्यकता महसूस हुई।
उद्योग- व्यापार क्षेत्र के संगठनों को उम्मीद थी कि जल्दी ही इस रोक को उठा लिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। बाद में सोयाबीन का मंडी भाव घटकर काफी नीचे आने से भी उद्योग की उम्मीद बढ़ी थी मगर बार-बार अनुरोध किए जाने के बाद भी सरकार ने अभी तक इस पर कोई सकारात्मक निर्णय लेने का संकेत नहीं दिया है।
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान सहित अन्य उत्पादक प्रांतों में सोयाबीन का दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से 500/600 रुपए प्रति क्विंटल नीचे आ गया है।
सरकार ने तिलहनों का दाम सुधारने के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत बिंदु का इजाफा किया था मगर इसका कोई सार्थक नतीजा सामने नहीं आया।
सरसों की बिजाई अभी चल रही है मगर कीमतों में नरमी का माहौल बनने लगा है। इससे रबी सीजन की इस सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल की खेती के प्रति किसानों के उत्साह एवं आकर्षण में कमी आने की आशंका है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) द्वारा भी सरकार से बार-बार तेल-तिलहन में वायदा कारोबार पर लगी रोक को हटाने का आग्रह किया जा रहा है। इसके लिए हाल ही में एसोसिएशन ने सम्बद्ध केन्द्रीय मंत्रियों को ज्ञापन भी भेजा है।