iGrain India - कमजोर मांग से चीनी के दाम में नरमी का सिलसिला जारी नई दिल्ली । त्यौहारी सीजन की समाप्ति के बाद चीनी की घरेलू मांग सुस्त पड़ गई जबकि इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी रही। इसके फलस्वरूप कीमतों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। दिसम्बर के लिए 22 लाख टन चीनी का फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा जारी किया गया है जो लग्नसरा सीजन के बावजूद घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। चीनी में औद्योगिक मांग भी कुछ कमजोर पड़ी है और अब गुड़ का उत्पादन एवं उपयोग बढ़ने लगा है। मिल डिलीवरी भाव 30 नवम्बर से 6 दिसम्बर वाले सप्ताह के दौरान चीनी के मिल डिलीवरी मूल्य में पूर्वी उत्तर प्रदेश में 10 रुपए प्रति क्विंटल, पंजाब में 60 रुपए, मध्य प्रदेश में 35 रुपए तथा बिहार में 42 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह 25 रुपए सुधरकर 3645/3940 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। गुजरात में भी चीनी के दाम में या तो स्थिरता या कुछ नरमी रही। हाजिर भाव हालांकि चीनी का हाजिर भाव दिल्ली में 10 रुपए सुधरकर 4000/4150 रुपए प्रति क्विंटल हो गया मगर इंदौर में 20 रुपए गिरकर 3800/3900 रुपए प्रति क्विंटल तथा रायपुर में 15-20 रुपए गिरकर 3760/3850 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। मुम्बई मुम्बई (वाशी) मार्केट में चीनी का हाजिर भाव 50 रुपए घटकर 3550/3750 रुपए प्रति क्विंटल तथा नाका पोर्ट डिलीवरी मूल्य भी 50 रुपए गिरकर 3500/3700 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। पिछले दिनों कोल्हापुर में चीनी की कीमत घटकर 3400 रुपए प्रति क्विंटल से भी नीचे आ गई थी जिससे मिलर्स की चिंता एवं परेशानी काफी बढ़ गई है।टेंडर समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में चीनी के टेंडर मूल्य में गिरावट दर्ज की गई जिससे इसकी कमजोर मांग का स्पष्ट संकेत मिलता है। महाराष्ट्र में टेंडर मूल्य में 70 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई जबकि कर्नाटक में टेंडर मूल्य में 70 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई जबकि कर्नाटक में टेंडर मूल्य 30 से 55 रुपए के बीच नरम रहा।उत्पादन देश के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में गन्ना की क्रशिंग एवं चीनी के उत्पादन की गति अब जोर पकड़ने लगी है। हालांकि गन्ना की पैदावार विभिन्न कारणों से घटने की आशंका है जिससे चीनी उत्पादन में भी कमी आ सकती है मगर बाजार पर फिलहाल इसका कोई मनोवैज्ञानिक असर नहीं देखा जा रहा है। चीनी का भाव आगामी समय में भी एक निश्चित सीमा में स्थिर रहने की संभावना है। यदि सरकार ने एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य में इजाफा किया तो कीमतों में सुधार आने के आसार बढ़ सकते हैं।