iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि चीनी उद्योग की दोनों शीर्ष संस्थाओं- इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (इस्मा) तथा नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) ने 2023-24 की तुलना में 2024-25 सीजन के दौरान चीनी के घरेलू उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका व्यक्त की है और इसके स्पष्ट आरंभिक संकेत भी मिल रहे हैं लेकिन इसके बावजूद बाजार में ज्यादा तेजी आने की उम्मीद नहीं है।
फेडरेशन के मुताबिक चीनी का घरेलू उत्पादन 2023-24 सीजन के 319 लाख टन से 15.36 प्रतिशत या 49 लाख टन घटकर 2024-25 के सीजन में 270 लाख टन पर सिमट सकता है।
सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्पादन घटने की संभावना है क्योंकि इस बार गन्ना की पैदावार में गिरावट आई है और क्रियाशील चीनी मिलों की संख्या भी घटी है।
फेडरेशन के आंकड़ों से पता चला है कि 1 अक्टूबर 2024 से 15 जनवरी 2025 के साढ़े तीन महीनों में देश के अंदर कुल 130.55 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जो 2023-24 सीजन की समान अवधि के उत्पादन 151.20 लाख टन से 20.65 लाख टन या 13.66 प्रतिशत कम रहा।
चीनी के व्यापारिक निर्यात पर लम्बे समय से प्रतिबंध लगा हुआ है और निकट भविष्य में इसे हटाए जाने की संभावना नजर नहीं आ रही है। चीनी के एक्स फैक्ट्री न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोत्तरी की उम्मीद भी धूमिल पड़ती जा रही है।
इसका आश्वासन तो बार-बार दिया जा रहा है मगर इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो रहा है। केन्द्रीय आम बजट से भी चीनी उद्योग को ज्यादा आशा नहीं है।
गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में नियमित रूप से बढ़ोत्तरी होने के कारण चीनी के उत्पादन का लागत खर्च तो बढ़ गया है मगर इसके एमएसपी में पिछले पांच साल में वृद्धि नहीं हुई है।
घरेलू प्रभाग में चीनी की मांग एवं खपत में इजाफा होने की संभावना कम है। स्वदेशी उद्योग के पास चीनी का अच्छा खासा पिछला बकाया स्टॉक मौजूद है इसलिए उत्पादन में गिरावट आने के बावजूद इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी रह सकती है।