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iGrain India - शंघाई। अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा है कि चीन के सामानों पर कम से कम 145 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया जाएगा जबकि चीन ने अमरीकी उत्पादों पर 125 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा रखा है।
इसका मतलब यह हुआ कि चीन में अमरीकी सोयाबीन का आयात आर्थिक दृष्टि से पूरी तरह अनाकर्षक या नुकसानदायक साबित होगा। चीन के खरीदारों ने अमरीका से सोयाबीन के आयात का अनुबंध करना छोड़ दिया है और ब्राजील से इसका आयात बढ़ाना आरंभ कर दिया है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि इस बार ब्राजील से सोयाबीन का उत्पादन तेजी से बढ़कर 1690 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है जिससे चीन को वहां से अपनी जरूरत के अनुरूप इस महत्वपूर्ण तिलहन का आयात करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
वैसे भी ब्राजील में लगभग 70 प्रतिशत सोयाबीन का निर्यात अकेले चीन को होता है। उधर अर्जेन्टीना में भी इस बार 500 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन की संभावना व्यक्त की गई है जिससे वहां निर्यात योग्य स्टॉक में कुछ वृद्धि हो सकती है।
विश्व स्तर पर सोयाबीन के उत्पादन एवं निर्यात में ब्राजील पहले, अमरीका दूसरे तथा अर्जेन्टीना तीसरे नम्बर पर रहता है जबकि चौथे स्थान पर चीन तथा पांचवें स्थान पर भारत है।
ध्यान देने की बात है कि परम्परागत रूप से अमरीका से भी सोयाबीन का सर्वाधिक निर्यात चीन को ही होता रहा है इसलिए चीन की खरीदारी बंद होने से अमरीकी निर्यातकों की कठिनाई बढ़ जाएगी।
अमरीका में सोयाबीन की बिजाई का सीजन आरंभ हो गया है और सितम्बर-अक्टूबर में इसकी नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू हो जाएगी। चाइनीज बाजार के बंद होने से अमरीका में सोयाबीन की खेती के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण घट सकता है।
चीन के आयातकों के लिए ब्राजील और अर्जेन्टीना का विकल्प मौजूद है। ज्यादा जरूरत पड़ने पर चीन में उरुग्वे और पराग्वे जैसे देशों से भी सोयाबीन मंगाया जा सकता है।
वैसे इस बार ब्राजील ही उसके आयात की जरूरत को काफी हद तक पूरा करने में सक्षम है। चीन में अमरीका से मक्का एवं गेहूं आदि का आयात होने की आशंका है। मक्का की खरीद ब्राजील-अर्जेन्टीना से तथा गेहूं की खरीद ऑस्ट्रेलिया, कनाडा एवं अन्य देशों से की जा सकती है।