iGrain India - बांधों जलाशयों में पानी के घटते स्तर, तापमान में हो रही जोरदार वृद्धि तथा खरीफ फसलों की खेती का समय निकट आने से भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मानसून के आने तथा आगे बढ़ने के बारे में जो अनुमान व्यक्त किया है वह घरेलू कृषि क्षेत्र के लिए राहत प्रदान करने वाला है।
मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून 22 मई से आरंभ होने वाले सप्ताह के दौरान कभी भी केरल में पहुंच सकता है। ध्यान देने की बात है कि मौसम विभाग पहले भी कह चुका है कि मानसून 27 मई के आसपास आ सकता है जबकि इसमें 4 दिनों की घट बढ़ हो सकती है।
इसका मतलब यह हुआ कि 23 मई से लेकर 1 जून के बीच मानसून भारत की मुख्य भूमि के ऊपर पहुंच सकता है। आमतौर पर 1 जून को ही मानसून समय माना जाता है।
बंगाल की खाड़ी के ऊपर मौजूद मानसून की शाखा क्रमिक रूप से पश्चिमोत्तर भारत के पर्वतीय इलाकों में कुछ दिनों तक अच्छी या सामान्य बारिश हो सकती है अथवा गरज-चमक के साथ बौछार पड़ सकती है।
भारत से पहले मानसून श्रीलंका में सक्रिय होता है। वहां अभी तक इसके आने के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। समझा जाता है कि भारत में मानसून-पूर्व की जो बारिश हो रही है वह निर्बाध रूप से मानसून की वर्षा में समाहित हो सकती है जिससे उसकी तीव्रता, गतिशीलता और इजाफा होने की उम्मीद है।
मौसम विभाग का कहना है कि अगले सात दिनों के दौरान केरल, माही, तटीय कर्नाटक एवं लक्ष्यद्वीप में दूर-दूर तक सामान्य बारिश हो सकती है या बौछार पड़ सकती है।
इससे खासकर मसालों एवं बागानी फसलों को राहत मिलेगी। यह बारिश पश्चिमी तट के ऊपर परम्परागत थियेटर का एक भाग होगी जो मानसून के आने का आधार बन जाएगी।
अगले कुछ दिनों के अंदर तटीय, कर्नाटक, केरल, माही, तमिलनाडु, पांडिचेरी, कराईकल, आंतरिक कर्नाटक, लक्ष्यद्वीप, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा रॉयल सीमा में कहीं-कहीं भारी वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। दक्षिण भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्र में मानसून पूर्व की बारिश जारी रहते हुए ही मानसून की वर्षा भी आरंभ हो जाएगी।