iGrain India - नई दिल्ली। चीनी का घरेलू उत्पादन 2023-24 सीजन के 319 लाख टन से करीब 58 लाख टन घटकर 2024-25 के वर्तमान सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में 261 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना है।
मूल रूप से गन्ना क्रशिंग का सीजन 15 मई तक लगभग समाप्त हो गया और इस अवधि में लगभग 257.50 लाख टन शुद्ध चीनी का उत्पादन हुआ जून-जुलाई से दक्षिणी कर्नाटक एवं तमिलनाडु में गन्ना क्रशिंग का विशेष सत्र आयोजित होगा और उसमें लगभग 3.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हो सकता है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार चीनी के उत्पादन में जोरदार गिरावट आने का प्रमुख कारण गन्ना की आपूर्ति एवं उपलब्धता बहुत कम होना तथा गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर में भारी कमी आना रहा। 2023 में बारिश का अभाव रहा था और 2024 में गन्ना की फसल को कीड़ों-रोगों का प्रकोप भी झेलना पड़ा। इससे गन्ना की औसत उपज दर, कुल पैदावार एवं क्रशिंग तथा चीनी की रिकवरी दर घट गई।
इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (इस्मा) को उम्मीद है कि 2025-26 के मार्केटिंग सीजन में चीनी के घरेलू उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि एक तो महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे अग्रणी उत्पादक राज्यों में गन्ना का रकबा बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं
और दूसरे, उत्तरी राज्यों में उच्च गुणवत्ता तथा ऊंची उपज दर वाले गन्ना की नई किस्मों की खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मानसून की बारिश पिछले साल की भांति इस वर्ष भी अच्छी होने का अनुमान है जिससे गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर में सुधार आने के आसार हैं।
बेशक चीनी का एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) 3100 रुपए प्रति क्विंटल नियत है जिसका निर्धारण वर्ष 2019 में किया गया था लेकिन वास्तविक में चीनी का दाम इससे काफी ऊंचे स्तर पर चल रहा है जिससे मिलों को राहत मिल रही है।
लेकिन सरकार द्वारा गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य को 340 रुपए प्रति क्विंटल से 15 रुपए या 4 प्रतिशत बढ़ाकर 2025-26 सीजन के लिए 355 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जिससे चीनी के लागत खर्च में बढ़ोत्तरी हो जाएगी।
चीनी की मांग एवं आपूर्ति का समीकरण अगले कुछ महीनों तक जटिल रहने की संभावना है जिससे घरेलू बाजार भाव सीमित उतार-चढ़ाव के साथ मजबूत रह सकता है।