iGrain India - 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ कठोर निर्णय से पाकिस्तान की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है। एक तो प्रत्यक्ष युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया और उसके कई एयरस्पेस तहस-नहस कर दिए गए और दूसरे, उसे आर्थिक मोर्चे पर गंभीर आघात देने के लिए सरकार ने अनेक ठोस नीति लागू कर दी।
सबसे पहले बाघा अटारी सीमा (अमृतसर) को बंद कर दिया गया जिससे पाकिस्तान का भारत के साथ सड़क सम्पर्क टूट गया। इसके बाद सिंधु जल समझौता को स्थगित कर दिया गया जिससे पाकिस्तान के सबसे समृद्ध प्रान्त- पंजाब एवं सिंध में कृषि क्षेत्र की हालत बद से बदतर होने की आशंका है। सिंधु और उसकी सहायक नदियों को पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र की लाइफ लाइन माना जाता है।
यदि इन नदियों का पानी उसे नहीं मिला तो लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की सिंचाई के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। उधर अफगानिस्तान भी पाकिस्तान में काबुल नदी का पानी रोकने पर विचार कर रहा है।
पाकिस्तान धान और औद्योगिक फसलों कपास तथा गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर होती है और इसकी सिंचाई के लिए पानी की भारी जरूरत पड़ती है।
पंजाब और सिंध प्रान्त में कृषि उत्पादन अन्य प्रांतों से बेहतर होता है। इन दोनों राज्यों में सिंधु नदी का पानी उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित होता है।
भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से व्यापार को पूरी तरह बंद कर दिया है। इसके फलस्वरूप पाकिस्तान को भारतीय उत्पादों का निर्यात ठप्प पड़ गया है और वहां से भी सामानों का आयात नहीं हो रहा है।
पाकिस्तान जिन भारतीय सामानों का आयात सस्ते दाम पर कर रहा था उसके लिए अब उसे दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ेगा। वहां से आयात महंगा पड़ेगा और इससे पाकिस्तान में खाद्य महंगाई और भी बढ़ जाएगी जबकि पहले से ही यह काफी ऊंचे स्तर पर है।
इसके आगे भारत सरकार ने अपने जल क्षेत्र एवं बंदरगाहों के रास्ते पाकिस्तान को जाने वाले तथा वहां से आने वाले सभी जहाजों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे पाकिस्तान में आयात-निर्यात पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ना निश्चित है।
पाकिस्तान को अपना उत्पाद बाहर भेजने के लिए अब कोलंबो, जेबेल अली या सलालाह जैसे बंदरगाहों का सहारा लेना पड़ेगा। पाकिस्तान को इन बंदरगाहों के माध्यम से जाने वाले जहाजों के लिए मिलिंग कंपनियों ने अतिरिक्त चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है जिससे वहां सामानों का आयात खर्च बढ़ गया है।
बीमा कंपनियों ने भी चार्ज बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के आयातकों तथा निर्यातकों से बैंक गारंटी भी मांगी जा रही है जिससे उसकी मुसीबत काफी बढ़ गई है।