ट्रम्प द्वारा 50% टैरिफ की पुष्टि के बाद सोने की कीमतों में तेजी, तांबे में तेजी जारी
iGrain India - नई दिल्ली। ईरान और इजरायल के बीच भयंकर लड़ाई शुरू हो गई है और दोनों देश एक-दूसरे पर ड्रोन तथा मिसाइलों से हमले कर रहे हैं। इसके फलस्वरूप भारत से न केवल ईरान को होने वाले विभिन्न कृषि एवं खाद्य उत्पादों का निर्यात शिपमेंट प्रभावित होने की आशंका है। बल्कि भुगतान संकट भी बढ़ सकता है। भारत से ईरान को होने वाले निर्यात में बासमती चावल, काबुली चना, सोया ऑयल केक, चीनी, मूंगफली, तिल तथा जीरा एवं हल्दी जैसे मसाले मुख्य रूप से शामिल हैं।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के मुकाबले 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से काबुली चना का निर्यात 4959 टन से घटकर 3438 टन पर अटक गया मगर जीरा का निर्यात 1180 टन से सुधरकर 3161 टन तथा हल्दी का निर्यात 5444 टन से बढ़कर 8058 टन पर पहुंच गया। इसी तरह चावल का निर्यात भी 6.86 लाख टन से उछलकर 8.63 लाख टन पर पहुंचा।
लेकिन इसी अवधि में वहीं भारत से मूंगफली का आयात 11,585 टन से घटकर 9822 टन एवं तिल का आयात 3379 टन से गिरकर 2110 टन पर अटक गया। दूसरी ओर भारत से इस अवधि में ईरान को चीनी का निर्यात 5431 टन से उछलकर 22,194 टन पर पहुंचा लेकिन सोया डीओसी का शिपमेंट 3.12 लाख टन से घटकर 1.39 लाख टन रह गया।
ईरान भारतीय बासमती चावल का एक अग्रणी आयातक देश है। भारत के निर्यातकों को आशंका है कि यदि इजरायल के साथ लड़ाई लम्बे समय तक जारी रही तो न केवल ईरान को चावल के निर्यात शिपमेंट की गति धीमी पड़ जाएगी बल्कि भुगतान में भी देर होने लगेगी। भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है और हाल के महीनों में खासकर बासमती चावल के निर्यात में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन आगे अगर ईरान को निर्यात प्रभावित हुआ तो भारतीय निर्यातकों के लिए कठिनाई बढ़ जाएगी। ध्यान देने की बात है कि ईरान लम्बे समय से सऊदी अरब, इराक तथा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ भारतीय बासमती चावल का अग्रणी खरीदार देश बना हुआ है।
निर्यातकों का कहना है कि भीषण संग्राम की स्थिति में ईरान को बासमती चावल का निर्यात करने तथा वहां से भुगतान प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत जटिल हो जाएगी। फिलहाल ईरान के आयातक कीमतों का भुगतान करने के लिए दुबई तथा अन्य शहरों में स्थित खाते का इस्तेमाल कर रहे हैं।