वैश्विक बाजार भाव तेज होने से भारत में खाद्य तेलों का आयात होगा महंगा

प्रकाशित 20/06/2025, 10:21 pm
वैश्विक बाजार भाव तेज होने से भारत में खाद्य तेलों का आयात होगा महंगा

iGrain India - मुम्बई। हालांकि भारत सरकार ने घरेलू प्रभाग में खाद्य तेल की कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने और इसे कुछ घटाने के उद्देश्य से 30 मई 2025 को क्रूड श्रेणी के तीनों प्रमुख तेल-  पाम तेल, सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत नियत कर दिया और इसके फलस्वरूप अनेक व्यापारियों ने अपने ब्रांडेड खाद्य तेल के उच्चतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तथा वितरकों के लिए मूल्य (पीटीडी) में कुछ कटौती भी कर दी लेकिन अब वैश्विक बाजार निर्यातक देशों में भाव ऊंचा और तेज होने से भारत में खाद्य तेलों का आयात महंगा बैठेगा और शुल्क कटौती का फायदा घटता जाएगा।

ऐसी हालत में भारतीय रिफाइनिंग एवं प्रोसेसिंग इकाइयों के लिए अपने खाद्य तेलों का दाम घटाना आसान नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि 30 मई को हुई शुल्क कटौती की घोषणा के बाद फ्री ऑन बोर्ड स्तर पर सोयाबीन तेल के मूल्य में 61 डॉलर प्रति टन तथा क्रूड पाम तेल के दाम में 35 डॉलर प्रति टन का इजाफा हो चुका है।

उद्योग समीक्षकों के अनुसार कांडला बंदरगाह पर आयातित क्रूड सोयाबीन तेल का फ्री ऑन बोर्ड खर्च 30 मई को 1001 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 18 जून को 1062 डॉलर प्रति टन हो गया।

इसी तरह क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का आयात खर्च भी इसी अवधि में 995 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1030 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। 

उद्योग विश्लेषकों के अनुसार अमरीका में सोयाबीन तेल का भाव तेज होने से मलेशिया में भी सीपीओ का वायदा भाव बढ़ने लगा। समझा जाता है कि ईरान-इजरायल युद्ध के प्रभाव से खाद्य तेलों के वैश्विक बाजार मूल्य में तेजी आ रही है। दरअसल इस लड़ाई के कारण पेट्रोलियम का दाम ऊंचा हो गया है जिससे जैव ईंधन के निर्माण में खाद्य तेलों का उपयोग बढ़ाया जाने लगा। 

उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि शुल्क कटौती के बाद पिछले 20 दिनों के दौरान सोयाबीन तेल, पाम तेल, सूरजमुखी तेल एवं वनस्पति (घी) के खुदरा मूल्य में 0.4 प्रतिशत से लेकर 2.1 प्रतिशत तक की मामूली गिरावट आई।

दूसरी ओर इसी अवधि में मूंगफली तेल एवं सरसों तेल के खुदरा मूल्य में 0.4-0.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इन दोनों तेलों का विदेशों से आयात नहीं या नगण्य होता है और इसकी कीमतें मुख्यतः घरेलू कारकों से प्रभावित होती है।

इस 20 दिन की अवधि में मूंगफली तेल का थोक बाजार भाव लगभग स्थिर रहा मगर सरसों तेल का 1 प्रतिशत बढ़ गया। लेकिन सोया तेल, पाम तेल, सूरजमुखी तेल एवं वनस्पति के थोक मूल्य में 0.5 से 2.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।                          

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