ट्रम्प की टैरिफ धमकी से सोने की कीमतों में तेजी; प्लैटिनम और चांदी का प्रदर्शन बेहतर
iGrain India - नई दिल्ली। घरेलू प्रभाग में मजबूत मांग एवं आकर्षक कीमत को देखते हुए पिछले साल के मुकाबले वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान मक्का के बिजाई क्षेत्र में 8-10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है और यदि मौसम तथा वर्षा की हालत अनुकूल रही तो इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज का उत्पादन उछलकर एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।
दरअसल इस बार कई क्षेत्रों में किसान सोयाबीन, दलहन तथा कुछ माइनर फसलों का रकबा घटाकर मक्का का क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं। इसके आरंभिक संकेत भी मिल रहे हैं। मक्का की औसत उपज दर में पिछले कुछ वर्षों के दौरान अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।
देश के मध्यवर्ती एवं मध्य दक्षिणी भाग में किसानों का रुझान मक्का की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है और अब फसल की देखभाल भी बेहतर ढंग से होने लगी है।
बिजाई क्षेत्र एवं उपज दर में वृद्धि की संभावना को देखते हुए गत वर्ष के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान मक्का का घरेलू उत्पादन करीब 15 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। पिछले साल करीब 185-190 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ था जबकि इस बार इसमें 25-30 लाख टन तक का इजाफा हो सकता है।
यदि मानसून की बारिश सितम्बर में भी जारी रही तो रबी सीजन में मक्का की खेती के लिए अनुकूल आधार बन जाएगा और किसानों को इसका बिजाई क्षेत्र बढ़ाने में कठिनाई नहीं होगी।
बांधों एवं जलाशयों में पानी का पर्याप्त भंडार मौजूद रहेगा जिससे फसलों की सिंचाई में सहायता मिलेगी। रबी सीजन में मक्का का बिजाई क्षेत्र 5 प्रतिशत बढ़ने तथा कुल उत्पादन 100 लाख टन से ऊपर पहुंचने की उम्मीद है।
मौसम एवं वर्षा की अनुकूल स्थिति से मक्का के उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं जबकि 15-20 लाख टन का पिछला बकाया स्टॉक भी मौजूद रहेगा। इससे कुल उपलब्धता घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त हो सकती है।
हालांकि कुछ उत्साही समीक्षकों का मानना है कि 20-25 लाख टन मक्का का निर्यात योग्य अधिशेष स्टॉक भी मौजूद रह सकता है लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि पशु आहार, पॉल्ट्री फीड, स्टार्च एवं एथनॉल निर्माण उद्योग की कीमतों की प्रतिस्पर्धा में निर्यातक ठहर पाते है या नहीं क्योंकि उसके लिए वैश्विक बाजार मूल्य भी अनुकूल होना चाहिए।
मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2225 रुपए प्रति क्विंटल से 175 रुपए बढ़ाकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। यदि इसका घरेलू बाजार भाव 21,500 से 24,500 रुपए प्रति टन के बीच रहा तो एथनॉल सहित अन्य उद्योगों में अच्छी मांग रह सकती है लेकिन यदि कीमत 26,000 रुपए प्रति टन के निकट पहुंचती है
तो उद्योगों एवं निर्यातकों के लिए कठिनाई बढ़ जाएगी और तब सरकार को अनाज से निर्मित एथनॉल की खरीद का मूल्य बढ़ाने के लिए विवश होना पड़ सकता है।