भोपाल, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 39 साल पहले हुए गैस हादसे के पीड़ितों के उपचार में संभावना क्लीनिक की बड़ी भूमिका है, मगर विदेशों से मिलने वाले दान या कहें मदद के बंद हो जाने से मरीजों के उपचार में दिक्कत आने लगी है। यूनियन कार्बाइड गैस हादसे की 39वीं बरसी के अवसर पर संभावना ट्रस्ट क्लीनिक के सदस्यों ने गैस पीड़ित आबादी में लगातार हो रही मौतों और बीमारियों पर अधिक चिकित्सीय ध्यान देने का आह्वान किया।
क्लीनिक की योग विशेषज्ञ डॉ. श्वेता चतुर्वेदी ने कहा कि एफसीआरए के तहत पंजीकरण रद्द होने के कारण संभावना क्लीनिक को वर्तमान में वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एफसीआरए पंजीकरण रद्द होने से पहले क्लीनिक को 40 से अधिक देशों के 30 हजार व्यक्तिगत दानदाताओं से छोटे दान प्राप्त होते थे।
इस साल की शुरुआत में एफसीआरए के तहत पुन: पंजीकरण के लिए गृह मंत्रालय में आवेदन किया है और इसकी मंजूरी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मरीजों की चर्चा करते हुए डॉ. श्वेता चतुर्वेदी ने कहा, एक जनवरी, 2022 से क्लीनिक में इलाज ले रहे 3832 गैस पीड़ितों में से 22 की मृत्यु हो गई है। पिछले दो वर्षों के 22 मृतकों में से 14 (64 प्रतिशत) को उच्च रक्तचाप की बीमारी बताई गयी थी, 10 (45 प्रतिशत) को मधुमेह बताया गया था। मधुमेह के 10 में से आठ मामलों में, मृतक को उच्च रक्तचाप और मधुमेह दोनों थे। क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) सहित श्वसन संबंधी बीमारियां मृतकों में तीसरी सबसे आम बीमारी थी।
क्लीनिक में पंजीकरण सहायक नितेश दुबे ने कहा कि हमारे क्लीनिक के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दो सालों में इलाज लेने वाले 6254 व्यक्तियों में से मधुमेह, कोरोनरी धमनी रोग, न्यूरोपैथी और गठिया की बीमारी, गैर गैस पीड़ितों की अपेक्षा गैस पीड़ितों में तीन गुना ज्यादा है। इसी तरह गैस पीड़ितों में उच्च रक्तचाप, एसिड पेप्टिक रोग, अस्थमा, सीओपीडी, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस बीमारियां दोगुनी हैं।
ज्ञात हो कि संभावना ट्रस्ट क्लीनिक सितंबर 1996 से गम्भीर रूप से प्रभावित आबादी के बीच चल रहा है। यहां अब तक 36,730 व्यक्तियों को दीर्घकालिक इलाज के लिए पंजीकृत किया गया है। क्लीनिक में इलाज का तरीका पंचकर्म सहित योग और आयुर्वेद के साथ आधुनिक चिकित्सा के एकीकरण पर आधारित हैं। इलाज के अलावा, यह क्लीनिक सामुदायिक स्वास्थ्य कार्य भी करता है, औषधीय पौधे लगाता है और आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन करता है।
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