चेन्नई, 30 जुलाई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में बाघों की आबादी में अच्छी वृद्धि देखने को मिली है। राज्य में बाघों की संख्या में चार गुना बढ़ोत्तरी हुई है। 2006 में राज्य में 76 बाघ थे, जो वर्तमान में बढ़कर 306 हो गए हैं।शनिवार को वैश्विक बाघ दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) द्वारा बाघों की संख्या जारी की गई।
2018 की पिछली बाघ गणना में, तमिलनाडु के जंगलों में संख्या 264 थी और नवीनतम गणना में यह 306 तक पहुंच गई है।
राज्य में पांच टाइगर रिज़र्व हैं जिनमेेंअनामलाई टाइगर रिजर्व, कलक्कड़-मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व, मुदुमलाई टाइगर रिजर्व, श्रीविल्लिपुथुर मेगामलाई टाइगर रिजर्व और सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व शामिल हैं।
तमिलनाडु के पांच टाइगर रिजर्व में से मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (एमटीआर) में बाघों की संख्या सबसे अधिक है। जनगणना के अनुसार एमटीआर में बाघों की संख्या 114 है।
वरिष्ठ वन अधिकारियों ने कहा कि वन अभ्यारण्यों के कवरेज में वृद्धि और अवैध शिकार विरोधी उपायों से बाघों की आबादी में वृद्धि हुई है।
हालांकि अधिकारियों ने कहा कि अगली गणना में बाघों की संख्या में कोई बड़ी वृद्धि नहीं होगी क्योंकि संख्या संतृप्ति बिंदु तक पहुंच गई है।
पीसीसीएफ (प्रोजेक्ट टाइगर) आकाश दीप बरुआ ने मीडियाकर्मियों को बताया कि तमिलनाडु में अवैध शिकार विरोधी निगरानीकर्ताओं की संख्या अब 902 है और पांच टाइगर रिजर्व में 238 शिकार विरोधी शिविर हैं। उन्होंने कहा कि अवैध शिकार को रोकने के लिए तमिलनाडु वन विभाग द्वारा उठाए गए कदमों से बाघों की हत्या को रोकने में मदद मिली है।
एनटीसीए के अधिकारियों ने कहा कि समग्र रूप से प्राकृतिक वनस्पति, जीव, मिट्टी और आवास की रक्षा के लिए टाइगर रिजर्व में पौधों की आक्रामक प्रजातियों के प्रसार को रोकने की तत्काल आवश्यकता है।
अधिकारियों ने कहा कि मानव-पशु संघर्ष एक और प्रमुख मुद्दा है जिसे पश्चिमी घाट में बाघों और अन्य जंगली प्रजातियों के अस्तित्व के लिए संबोधित किया जाना है।
--आईएएनएस
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