नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने और 'खटाखट स्कीम' को लेकर जोरदार तंज कसा।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कर्नाटक सरकार के पेट्रोल-डीजल के दाम 3 और 3.5 रुपए बढ़ाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस ने फ्री की गारंटियां दी थी कि सालाना हर एक परिवार में एक महिला के खाते में एक लाख रुपये देंगे। अगर 32 लाख परिवार है तो 32 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है, किससे उन्होंने सलाह ली थी या किसके कहने पर किया था। वो तो मैं नहीं कह सकता। लेकिन, इन्होंने ये जो निर्णय लिया है, उसका असर केवल ईंधन की कीमतों पर नहीं होगा, बल्कि ट्रांसपोर्टेशन महंगा होने की वजह से खाने-पीने की चीजों के दाम भी बढ़ जाएंगे, मतलब, जो केंद्र सरकार ने काम किया, उस पर इन लोगों ने पानी फेर दिया। कांग्रेस के युवा नेता ने एक बार कह दिया 'खटाखट-खटाखट' तो इन्होंने आते ही 'खटाखट' तो कर दिया, पर युवा नेता को समझाना भूल गए कि जो उन्होंने झूठ बोला, वो भी पकड़ा गया।
उन्होंने आगे कहा कि भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों की दक्षिण एशियाई देशों से तुलना करेंगे तो ये सबसे नीचे है। 70 से 80 प्रतिशत का अंतर है। भारत के पेट्रोल-डीजल के दामों की तुलना अंतरराष्ट्रीय देशों, जिनमें यूके, अमेरिका, कनाडा हैं, से करेंगे तो यह भारत में सबसे कम मिलेगा। पिछले दो साल में पेट्रोल और डीजल के दाम कम हुए हैं, बाकि सभी जगह दाम 30-40 प्रतिशत बढ़े हैं।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने पेट्रोल-डीजल के दामों की भाजपा और कांग्रेस शासित राज्यों से भी की। उन्होंने बताया कि ईटानगर और चेन्नई में 9.90 रुपये का फर्क है, लखनऊ और तेलंगाना में 12.76 रुपये, गांधी नगर और बेंगलुरु में 8.21 रुपये, पणजी और केरल में 12.35 रुपये, गुवाहाटी और कोलकाता में 6.80 रुपये का फर्क है।
उन्होंने डीजल के दामों में फर्क करते हुए बताया कि ईटानगर और चेन्नई में 12 रुपये, इंफाल और रांची में 7.37 पैसे का फर्क है, लखनऊ और तेलंगाना में 7.90 रुपये का अंतर है। चाहे आप इंटरनेशनल कीमतों की तुलना करें या फिर भाजपा और गैर-भाजपा शासित राज्यों की तुलना करें तो केंद्र सरकार ने कदम उठाए हैं, पीएम नरेंद्र मोदी ने दो बार नवंबर 2021 और मई 2022 में सरकारी एक्साइज ड्यूटी में कमी की। इससे 13 और 16 रुपये ईंधन के दाम कम हुए। भाजपा शासित राज्य सरकारों ने वैट कम किया इसका सीधा असर आम जनता की जेबों पर पड़ा और उन्हें महंगाई से काफी राहत मिली।
--आईएएनएस
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