लखनऊ, 13 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने मुख्य अतिथि और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ के साथ छात्रों को उपाधि दी। सीएम योगी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन की पहली शर्त ही विधि का शासन है। न्याय संगत व्यवस्था हर व्यक्ति को प्रिय है और न्याय समय पर हो, समयबद्ध तरीके से हो, इसके लिए उस फील्ड के विशेषज्ञ उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। विधि के इस शासन के लिए ही आज भारत जाना जा रहा है। परसेप्शन बदलने में, आमजन की धारणा बदलने के लिए, देश और दुनिया की धारणा बदलने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह विश्वविद्यालय एक सही राह पर आगे बढ़ चुका है।
विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त करने वाले जितने भी स्नातक, परास्नातक और शोध करने वाले छात्र हैं, वे अपने कार्यों के माध्यम से न सिर्फ विश्वविद्यालय को बल्कि समाज और राष्ट्र को लाभान्वित करके अपने अभिभावकों और अपने गुरुजनों को गौरवान्वित करने का कार्य करेंगे।
सीएम योगी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ का स्वागत करते हुए कहा, " भारत के अंदर विधि का शासन हो, अच्छे विधि विशेषज्ञ स्नातक, परास्नातक और शोध की डिग्री लेने के उपरांत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण के अभियान का हिस्सा बन सकें। यही वजह है कि विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में भी मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ का आशीर्वाद उन्हें मिल रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, इससे पहले भी दो दीक्षांत समारोह में उनका आशीर्वाद यहां के विद्यार्थियों को प्राप्त होता रहा है। इस अवसर पर उनकी मौजूदगी हम सबको प्रसन्न करती है। सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए और न्याय जगत के लिए कभी न भूल पाने वाला पल रहा है। आज भी उत्तर प्रदेश का निवासी न्याय जगत में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति बड़े ही सकारात्मक भाव से उनकी बातों की सराहना करता है।
सीएम योगी ने कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश उपाधि प्राप्त करने वाले उपाधि धारकों से परिचय पूछने के साथ-साथ वर्तमान में उनके कार्यों के बारे में पूछ रहे थे तो ये देखकर प्रसन्नता हो रही थी कि बहुत सारे उपाधि धारक न्यायिक क्षेत्र की अलग-अलग जगहों पर जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि परिवारिक विवादों को लेकर जब लोग आते हैं तो वह किसी की नहीं सुनते, लेकिन अधिवक्ता जहां कहता है वो वहां आंख बंद करके साइन कर देते हैं क्योंकि अधिवक्ता पर उनका विश्वास है। यह विश्वास आपकी सबसे बड़ी पूंजी है और यह विश्वास सामान्य नागरिक का बार और बेंच दोनों पर बना रहना चाहिए। इस विश्वास पर खरा उतरना हम सबके लिए सदैव सबसे बड़ी चुनौती रही है क्योंकि बदलते हुए परिवेश में लोगों की जरूरतें, तौर तरीके, टेक्नोलॉजी व्यक्ति को भी और व्यवस्था को भी बदलती है।
--आईएएनएस
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