कोलकाता, 22 जनवरी (आईएएनएस)। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के चेयरमैन से कहा है कि वो अपने एक प्रमुख पदाधिकारी को तुरंत बर्खास्त करे जिसने अपनी पत्नी को अवैध रूप से सरकारी स्कूल में नौकरी दिलाने में मदद की थी। जस्टिस बिस्वजीत बसु की पीठ ने न केवल डब्ल्यूबीएसएससी को अपने क्षेत्रीय अध्यक्ष (पश्चिमी क्षेत्र) शेख सिराजुद्दीन को बर्खास्त करने का निर्देश दिया, बल्कि राज्य प्रशासन को उन्हें हिरासत में लेने के बाद उनके खिलाफ तत्काल कार्यवाही शुरू करने को भी कहा।
यह पता चला है कि सिराज़ुद्दीन की पत्नी जैस्मीन खातून 2011 में शिक्षक के रूप में भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में शामिल हुई थी, जिसके लिए पैनल 2016 में समाप्त हो गया था। हालांकि, उसे 2019 में नियुक्ति मिली और यह आरोप लगाया गया कि उसके पति ने नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसकी वह नौकरी गैरकानूनी तरीके से है।
हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट के जज देबांगसु बसाक और शब्बर रशीदी की विशेष खंडपीठ ने भी देखा कि पैनल में सूचीबद्ध उम्मीदवारों को दी गई सरकारी स्कूलों में नियुक्तियां मान्य नहीं होंगी।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि समाप्त पैनल की सूची से नियुक्त किये जा रहे अभ्यर्थियों की सेवाएं अंततः समाप्त करनी ही होगी।
यह माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर के शिक्षण कर्मचारियों के साथ-साथ समूह सी और समूह डी श्रेणियों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों दोनों के लिए लागू है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के पहले के आदेश के बाद डब्ल्यूबीएसएससी ने इसी आधार पर कई उम्मीदवारों के नियुक्ति पत्र वापस ले लिए थे। अभ्यर्थियों के एक वर्ग ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय को वापस लौटा दिया, जिसके बाद फास्ट ट्रैक आधार पर मामले की सुनवाई के लिए विशेष डिवीजन बेंच का गठन किया गया।
--आईएएनएस
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