चंडीगढ़, 5 नवंबर (आईएएनएस)। ऐसे समय में जब सतत कृषि एक ऐसा मुद्दा बनकर उभरा है, जिस पर गहन चर्चा की जरूरत है, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने शनिवार को इससे निपटने का फैसला किया और देश को इसे हासिल करने में मदद करने के उपाय सुझाए।सीआईआई एग्रोटेक-2022 के 15वें संस्करण के मौके पर एक विशेष सत्र में सीईओ ने कृषि को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल करने की सिफारिश की और कृषि से संबद्ध क्षेत्रों के लिए नीतियां बनाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में सरकार के प्रतिनिधि भी महत्वपूर्ण बातचीत का हिस्सा थे।
कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और डेयरी पर सीआईआई क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष मयंक सिंघल ने कहा, टिकाऊ कृषि वास्तव में एक चुनौती है और अच्छी बात यह है कि अगर हम इसे सही कर लेते हैं तो इस क्षेत्र में विकास की एक बड़ी संभावना है। हालांकि, राज्यों के पास कृषि पद्धतियों और किसानों के जीवन में सुधार के भिन्न-भिन्न तरीके हैं, जिन्हें बदलने की जरूरत है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव सैमुअल प्रवीण कुमार ने कहा, इस तरह के हितधारक परामर्श जारी रहना चाहिए और कृषि और संबद्ध क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उद्योग को कुछ ठोस योजनाओं के साथ आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा, सरकार उद्योग के साथ-साथ किसानों का समर्थन करने के लिए काम कर रही है और आने वाले कई उपायों में से पहला पेश किया है, जैसे कि कुछ बीजों का वैधीकरण।
राबो इक्विटी एडवाइजर्स के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव ने कहा, बेहतर तंत्र के माध्यम से कृषि ऋण को बढ़ावा देने की जरूरत है और इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि कुछ बैंक खुद को नई परियोजनाओं से जोड़ें, ताकि नकदी प्रवाह अधिक हो।
सत्र में कम उपयोग से ज्यादा पाने की ओर बढ़ने के तरीकों पर भी चर्चा की। उदाहरण के लिए कीटनाशकों की कम मात्रा का उपयोग करना और फिर भी उपज को दोगुना करना।
सिंघल ने सत्र का समापन करते हुए कहा, यह एक उपयोगी सत्र रहा है और हमने वित्तीय नीति से लेकर प्रौद्योगिकी की शुरुआत तक के मुद्दों पर चर्चा की है। समय के साथ हम प्रत्येक प्रमुख चर्चा बिंदुओं पर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेंगे। इसमें सरकारें भी सहायक रही हैं।
--आईएएनएस
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