नई दिल्ली, 4 सितंबर (आईएएनएस)। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान देश के 8 प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों की संपत्ति में जोरदार उछाल देखने को मिला है। राजनीतिक दलों की संपत्ति वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 8829.158 करोड़ हो गई है, जिसमें भाजपा द्वारा सबसे अधिक संपत्ति 6,046.81 करोड़ रुपये घोषित की गई।एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ''वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 8 राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित कुल संपत्ति 7,297.61 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 के में बढ़कर 8,829.15 करोड़ रुपये हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भाजपा की घोषित संपत्ति कुल 4,990.19 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 21.17 फीसदी बढ़कर 6,046.81 करोड़ रुपये हो गई।
वहीं, 2020-21 के दौरान कांग्रेस की घोषित संपत्ति कुल 691.11 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 के दौरान 16.58 प्रतिशत बढ़कर 805.68 करोड़ रुपये हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, मायावती के नेतृत्व वाली बसपा अपनी वार्षिक घोषित संपत्ति में कमी दिखाने वाली एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है। 2020-21 में बसपा की कुल संपत्ति 732.79 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 5.74 प्रतिशत घटकर 690.71 करोड़ रुपये हो गई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि टीएमसी की संपत्ति 2020-21 में 182.001 करोड़ रुपये थी जो 2021-22 में 151.70 फीसदी के उछाल के साथ 458.10 करोड़ रुपये हो गई। सबसे तेज उछाल टीएमसी की संपत्ति में ही देखने को मिली है।
लेटेस्ट रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए आठ राष्ट्रीय दलों भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी, बीएसपी, सीपीआई, सीपीआई (एम), एआईटीसी और एनपीपी द्वारा घोषित संपत्ति और देनदारियों का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की संपत्ति भी वित्त वर्ष 2021-22 में 30.93 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 74.54 करोड़ रुपये हो गई। जबकि, सीपीआई की संपत्ति वित्त वर्ष 2020-21 में 14.05 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 15.72 करोड़ रुपये हो गई। माकपा की संपत्ति वित्त वर्ष 2020-21 में 654.79 करोड़ रुपये थी जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 735.77 करोड़ रुपये हो गई है।
एडीआर ने रिपोर्ट में इन राष्ट्रीय दलों की देनदारी का भी जिक्र किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी 8 दलों पर 2020-21 में 103.555 करोड़ रुपये की देनदारी थी जिसमें सबसे ज्यादा 71.58 करोड़ रुपये कांग्रेस पर बकाया था। इसके बाद माकपा पर 16.109 करोड़ रुपये की देनदारी थी।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में कांग्रेस की देनदारी घटकर 41.95 करोड़, माकपा की देनदारी घटकर 12.21 करोड़ रुपये पर आ गई। जबकि, बीजेपी ने 5.17 करोड़ रुपये की देनदारी घोषित की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के बीच, पांच पार्टियों ने देनदारियों में कमी की घोषणा की है। कांग्रेस की देनदारी 29.63 करोड़ रुपये घट गई। वहीं बीजेपी की 6.035 करोड़ रुपये, माकपा 3.899 करोड़ रुपये, एआईटीसी 1.30 करोड़ रुपये और एनसीपी की देनदारी में 1 लाख रुपये की कमी आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, सीपीआई ने दोनों वर्षों में 6.28 लाख रुपये घोषित किए हैं। बसपा और एनपीपी ने वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए देनदारियों के रूप में शून्य राशि घोषित की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईसीएआई की गाइडलाइंस के बावजूद राजनीतिक दलों को उन वित्तीय संस्थानों, बैंकों या एजेंसी के नाम का खुलासा नहीं करती हैं, जहां से उन्होंने कर्ज लिया है।
--आईएएनएस
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