नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को रक्षा उत्पादन में निजी निर्माताओं की बढ़ती भूमिका की सराहना करते हुए इसे इस क्षेत्र के विकास में एक संकेतक बताया।उन्होंने निर्माताओं से अगले 25 वर्षो के लिए एक रोडमैप बनाने और अनुसंधान व विकास में निवेश करने और नए उत्पाद लाने का आग्रह किया।
सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चर्स (एसआईडीएम) के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि पिछले आठ वर्षो में रक्षा उत्पादन बजट लगभग 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो गया है।
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि 2025 तक रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को छूने पर फोकस होना चाहिए।
उन्होंने कहा, सरकार उद्योग की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि दोनों को एक साथ (रक्षा उत्पादन की) यात्रा करनी है।
सिंह ने कहा कि पिछले 20 वर्षो में जब से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निजी निर्माताओं की भूमिका की कल्पना की थी, उनकी भागीदारी गेम चेंजर रही है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्तवर्ष के लिए रक्षा बजट का 68 प्रतिशत रक्षा उत्पादन के लिए रखा गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि केवल एक प्रगतिशील राष्ट्र ही इसकी देखभाल कर सकता है और साथ ही आर्थिक समृद्धि भी बनाए रख सकता है।
सिंह ने कहा, हमेशा बदलते रक्षा निर्माण परिदृश्य में विकास प्रभावशाली रहा है। इससे पता चलता है कि रक्षा उपकरणों की जरूरत बढ़ गई है और सरकार इन जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है।
उन्होंने एसआईडीएम की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह पिछले पांच वर्षो में बढ़ी है, क्योंकि कई एमएसएमई इसमें शामिल हुए हैं।
सिंह ने कहा, रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के विकास का यह एक संकेतक था।
मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के विजन को रक्षा उत्पादन में शामिल किया गया है और सशस्त्र बलों ने इस दृष्टिकोण का पूरे दिल से समर्थन किया है।
--आईएएनएस
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