नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना के प्रवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा एक तथ्य-जांच इकाई बनाने पर बहस के बीच, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शनिवार को कहा कि केंद्र के इशारे पर कोई व्यापक शक्तियां या कठोर कदम नहीं हैं, जिसका उद्देश्य केवल अपने डिजिटल नागरिकों की रक्षा करना है।चंद्रशेखर ने निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल के एक ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि नए आईटी नियम पहले से ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए प्रदान करते हैं ताकि उनके प्लेटफॉर्म पर नौ प्रकार के कंटेंट से बचा जा सके, जिसमें बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) और गलत सूचना आदि शामिल हैं, जो आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत कानूनी प्रतिरक्षा के लिए अर्हता प्राप्त हैं।
मंत्री ने एक ट्वीट में पोस्ट किया, तथ्य-जांच इकाई सरकार से संबंधित गलत सूचनाओं और स्पष्ट रूप से गलत सूचनाओं को चिन्हित करेगी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और बिचौलिए अगर चाहें तो फैक्ट-चेकिंग यूनिट को नजरअंदाज कर सकते हैं।
चंद्रशेखर ने समझाया, हालांकि, तब पीड़ित विभाग को कानून की संबंधित धाराओं के तहत अदालत में अपने मामले को आगे बढ़ाने का अधिकार होगा।
सिब्बल ने ट्वीट किया था, अब पीआईबी तय करेगी कि क्या फर्जी है और क्या नहीं और इसे नोटिफाई करेगी।
यदि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपेक्षा करना चुनते हैं, तो वे अभियोग से अपनी प्रतिरक्षा खो देंगे। अब सरकार तय करेगी कि क्या नकली है और क्या नहीं!
इससे पहले, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 में अंतिम संशोधन अधिसूचित किए जाने के बाद, चंद्रशेखर ने शुक्रवार को कहा कि आईटी मंत्रालय सरकार के बारे में गलत सूचना के प्रवाह को रोकने के लिए एक तथ्य जांच इकाई बनाएगा।
सरकार बिचौलियों को कंटेंट हटाने के लिए नहीं कहेगी, बल्कि इसे केवल नकली, स्पष्ट रूप से गलत या भ्रामक के रूप में लेबल करेगी।
चंद्रशेखर के मुताबिक, इस बात पर चर्चा होगी कि नई फैक्ट चेकिंग यूनिट पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के अधीन होगी या पूरी तरह से नई यूनिट होगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि इंटरनेट हमारे सभी डिजिटल नागरिकों के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय है। कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का कभी भी उल्लंघन नहीं कर सकता है।
--आईएएनएस
एसकेके/सीबीटी