नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त मंत्रालय की भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा, एक दस्तावेज जो 70 पृष्ठों से अधिक है, इसमें देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति और पिछले 10 वर्षों में इसकी यात्रा का जायजा लिया गया है।अंतरिम बजट (1 फरवरी) से कुछ दिन पहले जारी समीक्षा में मंत्रालय ने कहा कि अब संभावना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तवर्ष 2024 के लिए 7 प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धिदर हासिल करेगी, जबकि कुछ का अनुमान है कि यह वित्तवर्ष 25 में भी 7 प्रतिशत वास्तविक वृद्धि हासिल कर लेगी।
यदि वित्त( वर्ष 2015 के लिए पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो यह महामारी के बाद चौथा वर्ष होगा, जब भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से बढ़ेगी। वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह एक प्रभावशाली उपलब्धि होगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और क्षमता की गवाही देगी।
आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) द्वारा जारी 'द इंडियन इकोनॉमी : ए रिव्यू' अपने दूसरे अध्याय में अन्य चीजों के अलावा कल्याण के नए दृष्टिकोण के बारे में बात करता है।
समीक्षा का पहला अध्याय देश की अर्थव्यवस्था के अतीत, वर्तमान और भविष्य का अवलोकन प्रदान करता है जबकि दूसरा अध्याय सरकार की नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न मापदंडों पर प्रगति पर विस्तृत नज़र डालता है।
देश के मानव संसाधनों को संतुलित विकास और क्षमतापूर्ण कल्याण बताते हुए, समीक्षा में कहा गया है कि पिछले एक दशक में, भारत के कल्याण प्रतिमान में एक बड़ा परिवर्तन आया है, जो एक अधिक टिकाऊ, कुशल और सशक्त मॉडल के रूप में विकसित हुआ है।
इसमें कहा गया है कि इस बदलाव ने न केवल कल्याणकारी पहलों को क्षमता निर्माण आयाम प्रदान किया है, बल्कि देश में दीर्घकालिक मानव विकास के लिए एक मजबूत नींव भी रखी है।
राजकोषीय दृष्टिकोण से, सामाजिक क्षेत्र के खर्च की उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता भी जुड़ी है।
सामाजिक सेवाओं पर केंद्र सरकार के व्यय ने वित्त वर्ष 2012 और वित्त वर्ष 2013 के बीच 5.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) प्रदर्शित की है, इसी अवधि में सामाजिक सेवाओं पर पूंजीगत व्यय 8.1 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ रहा है, जो सामाजिक संपत्तियों के निर्माण का संकेत है।
इसके साथ ही, उज्ज्वला योजना, पीएम-जन आरोग्य योजना, पीएम-जल जीवन मिशन और पीएम-आवास योजना जैसी योजनाओं ने प्रमुखता हासिल की है, जो बुनियादी सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच के महत्व पर जोर देती है।
समीक्षा के अनुसार, एक विविध और आबादी वाले देश में, सामाजिक समर्थकों को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। बाल टीकाकरण और स्वच्छता में निवेश इसका उदाहरण है, जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्कूल में उपस्थिति और दीर्घकालिक कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अटल पेंशन योजना, पीएम जीवन ज्योति योजना और पीएम सुरक्षा बीमा योजना जैसी नीतियां असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सस्ती सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में कवरेज में उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाती हैं।
विशेष रूप से डिजिटल, ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर पर्याप्त जोर, जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण रोजगार सृजन की क्षमता रखता है।
कोविड-19 संकट पर भारत की प्रतिक्रिया ने एक सूक्ष्म और चरणबद्ध दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया, उभरती स्थितियों पर प्रतिक्रिया करते हुए कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान किया।
इस सुव्यवस्थित प्रतिक्रिया ने जोखिम वाले वर्गों की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित करने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, सड़क विक्रेताओं के लिए ऋण, वापस लौटने वाले प्रवासियों के लिए रोजगार आदि में मदद की, क्योंकि अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में अलग-अलग गति से सुधार हुआ।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत में कल्याण के नए दृष्टिकोण के काफी सकारात्मक परिणाम मिले हैं, जिससे नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
--आईएएनएस
एसजीके/