iGrain India - सिंगापुर । अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से एशियाई देशों में गन्ना की फसल को क्षति पहुंचने से चीनी का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है जिससे वैश्विक बाजार में इसका भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है। एशिया में भारत और थाईलैंड चीनी के दो प्रमुख उत्पादन एवं निर्यातक देश हैं लेकिन इस बार दोनों ही देशों में चीनी का उत्पादन घटने की संभावना है।
भारत सरकार चीनी के निर्यात पर पहले ही अघोषित प्रतिबंध लागू कर चुकी है यानी इसका निर्यात कोटा जारी नहीं कर रही है। इस बार थाईलैंड से भी निर्यात कम होने वाला है। संयुक्त राष्ट्र संघ की अधीनस्थ एजेंसी- खाद्य एवं कृषि संगठन (फाओ) ने चीनी के उत्पादन में 2 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है।
चीनी का उपयोग एथनॉल निर्माण में बढ़ रहा है जिससे इसका बफर स्टॉक घटकर वर्ष 2007 के बाद सबसे निचले स्तर पर सिमट जाने की संभावना है।
हालांकि सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- ब्राजील में चीनी का बेहतर उत्पादन हो रहा और अगले वर्ष भी अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है जिससे वैश्विक उपलब्धता में कुछ सहायता मिल सकती है लेकिन अगला उत्पादन शुरू होने में काफी देर है और इस बीच भारत से निर्यात आरंभ होने के आसार नहीं हैं।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार अगले कुछ महीनों तक वैश्विक बाजार में चीनी की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल होने तथा कीमत तेज रहने की संभावना है। इससे आर्थिक दृष्टि से कमजोर आयातक देशों और खासकर अफ्रीका में उप-सहारा क्षेत्र के गरीब देशों की कठिनाई बढ़ सकती है।
ब्राजील में अगले कुछ सप्ताहों में गन्ना की क्रशिंग एवं चीनी के उत्पादन का अभियान समाप्त होने वाला है जबकि अगला सीजन अप्रैल में शुरू होने की संभावना है। इस बार वहां गन्ना की अच्छी पैदावार होने से पेराई का सीजन कुछ लम्बा हो सकता है।
ब्राजील में 90 प्रतिशत चीनी का उत्पादन मध्य दक्षिणी क्षेत्र में होता है जबकि शेष 10 प्रतिशत का उत्पादन उत्तरी एवं पूर्वोत्तर भाग में होता है। मध्य दक्षिणी क्षेत्र में भारी बारिश का दौर आरंभ होने के बाद गन्ना फसल की कटाई-तैयारी में बाधा उत्पन्न होगी और इसकी क्रशिंग थम जाएगी। वैसे एक-दो इकाइयों में गन्ना की क्रशिंग जनवरी तक जारी रहने की संभावना है।