कोलकाता, 19 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है। ताजा मामला जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के एक नए छात्र की रहस्यमय मौत का है। बताया जा रहा है कि छात्र की मौत कथित तौर पर सीनियर छात्रों के एक ग्रुप द्वारा मानसिक उत्पीड़न और रैगिंग के चलते हुई।इस घटना पर राज्य में शैक्षणिक हलकों का मानना है कि कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के उदाहरण के बाद कुछ सरल अनुप्रयोगों को अपनाकर रैगिंग को समाप्त करना जेयू अधिकारियों की ओर से पूरी तरह से कुप्रबंधन है।
जो पीड़ित अभी 18 साल की उम्र पार नहीं कर पाया था, उसको इस तरह की रैगिंग से गुजरना पड़ा। 10 अगस्त को हॉस्टल के सामने उसका शव मिला।
केंद्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक आर.के. राघवन की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय स्तर पर रैगिंग विरोधी समिति ने विश्वविद्यालय परिसरों में जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग और उत्पीड़न की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई उपाय सुझाए थे।
राघवन समिति की सिफारिशों के आधार पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए वरिष्ठ छात्रों से अलग छात्रावास की व्यवस्था की जानी चाहिए।
हालांकि, फ्रेशर की मृत्यु से यह स्पष्ट है कि जेयू अधिकारियों द्वारा एक अलग फ्रेशर्स हॉस्टल की इस सिफारिश को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था।
अब इस घटना के बाद जेयू अधिकारियों ने फ्रेशर्स हॉस्टल को अलग करने के लिए कुछ पहल की है, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के एक दूरदराज के गांव से कोलकाता आए पीड़ित के लिए बहुत देर हो चुकी थी।
यूजीसी ने पहले ही जेयू अधिकारियों को दो नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या उनके एंटी-रैगिंग दिशानिर्देशों को विश्वविद्यालय द्वारा लागू किया गया था।
छात्रावास में एक और चीज देखी गई कि पूर्व छात्रों द्वारा पास आउट होने के महीनों बाद भी बिस्तरों और कमरों पर अवैध कब्ज़ा है। उन्होंने छात्रावासों में आवास संबंधी मामलों में अंतिम निर्णय के रूप में भी काम किया।
इस सिलसिले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए विश्वविद्यालय के चार पूर्व छात्रों पर छात्रावास में रहने वालों का आरोप है कि वे पास आउट होने के महीनों बाद भी छात्रावास को अपनी संपत्ति मानते हैं।
एंटी-रैगिंग दिशानिर्देशों को लागू करने में जेयू अधिकारियों द्वारा एक और बड़ा उल्लंघन विश्वविद्यालय परिसर के भीतर सीसीटीवी का न होना था।
इस तरह के कुप्रबंधन की जड़ को इस तथ्य के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है कि जेयू काफी समय से कुलपति के बिना लगभग नेतृत्वहीन स्थिति में काम कर रहा है। 10 अगस्त को जब दुर्घटना हुई तब विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार स्नेहोमोनजू बसु चिकित्सा अवकाश पर थीं और वह घटना के चार दिन बाद सोमवार को लौटीं।
जेयू ने स्थायी कुलपति नहीं है, क्योंकि भर्ती विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन किए बिना की जाती है। पिछले कुलपति सुरंजन दास की सेवानिवृत्ति के बाद, दास का कार्यकाल बढ़ाकर तीन महीने के लिए अंतरिम कुलपति के रूप में चीजों को तदर्थ तरीके से प्रबंधित किया गया था।
बाद में राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने प्रति-कुलपति अमिताव दत्ता को अंतरिम कुलपति नियुक्त किया। लेकिन कई राज्य विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति के राज्यपाल के फैसले पर गवर्नर हाउस और राज्य शिक्षा विभाग के बीच विवाद के कारण दत्ता ने कथित तौर पर पद से इस्तीफा दे दिया।
--आईएएनएस
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