iGrain India - नई दिल्ली। बारिश के अभाव एवं ऊंचे तापमान के कारण दक्षिण भारत के बांधों जलाशयों में पानी का स्तर लगातार तेजी से घटता जा रहा है जिससे कई इलाकों में फसलों की सिंचाई तो दूर, पीने के लिए भी पानी की भारी कमी महसूस होने लगी है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल 150 प्रमुख जलाशयों में से 4 तो पूरी तरह सूख चुके हैं जिसमें से तीन जलाशय दक्षिण भारत में हैं। लगातार 24वें सप्ताह इन जलाशयों में पानी का स्तर घट गया।
इसके अलावा दक्षिण भारत के ही करीब 10 अन्य जलाशयों की स्थिति भी चिंताजनक है क्योंकि वहां अलनीनो मौसम चक्र का प्रभाव कुछ ज्यादा ही देखा जा रहा है। इसमें सबसे विकार स्थिति खासकर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की है जहाँ जून 2023 से ही वर्षा की कमी देखी जा रही है। आयोग की साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार चालू सप्ताह के दौरान इन 150 प्रमुख बांधों-जलाशयों में केवल 67.591 बिलियन क्यूबिक लीटर (बीसीएम) पानी का स्टॉक मौजूद है जो इसकी कुल भंडारण क्षमता 178.784 बीसीएम का महज 38 प्रतिशत है। गत सप्ताह उसमें भंडारण क्षमता के 40 प्रतिशत पानी का स्टॉक उपलब्ध था।
कुल मिलाकर इन 150 जलाशयों में से 104 में पानी का स्तर 50 प्रतिशत से नीचे आ गया है जबकि 79 जलाशयों में तो यह 40 प्रतिशत से भी नीचे है। इसमें अधिक संख्या दक्षिण भारतीय जलाशयों की है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार देश के जिन 710 जिलों में मौसम एवं बारिश के आकड़ें जुटाए जाते हैं उनमें से 49 प्रतिशत जिलों में 1 मार्च से अब तक वर्षा नहनी या नगण्य हुई है। जनवरी-फरवरी के दौरान इनमें से कम से कम 60 प्रतिशत जिलों में बहुत कम या नगण्य वर्षा हुई थी।
दक्षिण भारत में पानी की कुल भंडारण क्षमता 53,334 बीसीएम के सापेक्ष केवल 23 प्रतिशत या 12.287 बीसीएम जल का भण्डार मौजूद है। कुल 42 में से 30 जलाशयों में 40 प्रतिशत से कम पानी बचा है जबकि 5 अन्य जलाशयों में पानी का भण्डार 50 प्रतिशत से नीचे आ गया है। आंध्र प्रदेश में येलूरू जलाशय सूख गया है जबकि दो अन्य जलाशय-सोमासिला तथा कंदलेरु में 10 प्रतिशत से कम पानी बचा हुआ है।