गुमला, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड के गुमला में स्वास्थ्य सुविधा का सबसे बड़ा केंद्र सदर अस्पताल खुद बीमार है। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं। अस्पताल प्रबंधन पल्ला झाड़ रहा है। सदर अस्पताल में लाखों की लागत से मच्छरदानी खरीदी गई, लेकिन स्थिति ये है कि एक भी मरीज को मच्छरदानी नहीं दी गई।इतना ही नहीं, तपिश भरी गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है। वहीं, अस्पताल के वार्ड में लगे पंखे टूटे और खराब पड़े हैं। मरीजों का दुखड़ा सुनने वाला कोई नहीं।
मच्छरदानी की डिमांड करने पर कहा जाता है कि मच्छरदानी नहीं है।
दूसरी ओर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर अनुपम किशोर सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनते हैं और कहते हैं ऐसी बात नहीं है। पर्याप्त मात्रा में मच्छरदानी है। पंखे की खराबी पर कहते हैं, जल्द ही दुरुस्त करा दिया जाएगा।
अब सवाल यह उठता है कि अगर मच्छरदानी है, तो वार्ड में एक भी मरीज को मच्छरदानी क्यों नहीं मिल रही। आखिर इसकी जवाबदेही लेगा कौन?
वहीं अस्पताल में इलाजरत मरीज व उसके परिजन या तो अपने घर से मच्छरदानी लेकर आते हैं या दुकान से खरीद कर लाते हैं। इसके बाद परिजन बरामदे में मच्छरदानी लगाकर सोते हैं। कारण पूछने पर बताया जाता है कि वार्ड में पंखा खराब है। गर्मी, उमस और बदबू के चलते बाहर सोना पड़ता है।
मच्छरों के प्रकोप से मरीजों का रात तो दूर, दिन में भी जीना मुहाल है। जरूरत है, लचर स्वास्थ्य सुविधा पर सुधार की, लेकिन पहल करेगा कौन?
--आईएएनएस
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