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खरीफ कालीन तिलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में एक लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी

प्रकाशित 28/08/2024, 11:39 pm
खरीफ कालीन तिलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में एक लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी
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iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली तथा सोयाबीन के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है मगर तिल और अरंडी का बिजाई क्षेत्र घटने से तिलहन फसलों का कुल क्षेत्रफल महज एक लाख हेक्टेयर ही बढ़ सका।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 27 अगस्त तक राष्ट्रीय स्तर पर खरीफ कालीन तिलहन फसलों का कुल रकबा 187.36 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था जो इस वर्ष बढ़कर 188.37 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। 

गत वर्ष की तुलना में वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 43.15 लाख हेक्टेयर से उछलकर 46.80 लाख हेक्टेयर तथा सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र 123.85 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 125.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। सूरजमुखी का रकबा भी 68 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 71 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा।

दूसरी ओर तिल का क्षेत्रफल 11.60 लाख हेक्टेयर से गिरकर 10.70 लाख हेक्टेयर,नाइजरसीड का रकबा 36 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 31 हजार हेक्टेयर तथा अरंडी का बिजाई क्षेत्र 7.70 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.70 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।

गुजरात देश में मूंगफली एवं अरंडी का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। इस बार वहां मूंगफली के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन अरंडी का क्षेत्रफल काफी पीछे चल रहा है।

वहां तिल की बिजाई में भी कमी आई है। अरंडी की बिजाई अभी जारी है इसलिए आगामी समय में इसके क्षेत्रफल में कुछ सुधार आ सकता है। 

नई फसल की आवक शुरू होने से पूर्व ही सोयाबीन का घरेलू बाजार भाव घटकर काफी नीचे आ गया है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।

केन्द्र सरकार सोयाबीन की खरीद का प्रयास कर सकती है। मूंगफली की फसल को गुजरात के सौराष्ट्र संभाग में मूसलाधार वर्षा एवं खेतों में जल जमाव होने के कारण कुछ नुकसान की आशंका बनी हुई है।

इसी तरह मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के कुछ भागों में सोयाबीन की फसल को भयंकर बाढ़ से खतरा बना हुआ है।

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