नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत 6.5 फीसदी से 7.1 फीसदी तक विकास दर दर्ज कर सकता है। इसका मुख्य कारण बढ़ती महंगाई और वैश्विक मंदी की आशंका है। यह बात डेलॉइट इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कही है। डेलॉइट को उम्मीद है कि भारत 2022-23 के दौरान 6.5-7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगा और अगले वर्ष 5.5-6.1 प्रतिशत वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार और आर्थिक बुनियादी बातों में सुधार पर निर्भर करेगा।
गौरतलब है कि 2021-22 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.7 प्रतिशत बढ़ा।
डेलॉइट ने कहा, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने भारत के विकास के मुख्य चालकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। वर्तमान आर्थिक वातावरण इतना अस्थिर है कि यदि कोई हाल ही में जारी किए गए डेटा से निश्चितता की तलाश कर रहा है, तो यह संभावना नहीं है कि एक सुसंगत ²ष्टिकोण सामने आएगा।
केंद्रीय बैंक द्वारा छह महीनों में चार बार रेपो दर बढ़ाने के बावजूद लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति, जो पिछले 10 महीनों से आरबीआई की 6 प्रतिशत की सीमा से ऊपर बनी हुई है, सरकार के लिए चिंता का विषय रही है।
इसके अलावा डॉलर लगातार बढ़ रहा है, जबकि इसके विपरीत रुपया निचले स्तर को छूने को आतुर है।
वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति ने आर्थिक निराशा को बढ़ाया है। विश्लेषकों ने कहा है कि कुछ उन्नत देशों में मंदी के आसार हैं।
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