चेन्नई, 28 नवंबर (आईएएनएस)। एसोसिएशन ऑफ इंडियन एंटरप्रेन्योर्स (एआईई) ने अगले केंद्रीय बजट में राशन या कच्चे माल के लिए उचित मूल्य की दुकान, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के तहत भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को लाने और छोटो उद्यमियों द्वारा बेची गई संपत्तियों पर पूंजीगत लाभ कर को समाप्त करने की मांग की है। एआईई केंद्र सरकार से इंटर्न के लिए 180 दिनों के लिए वेतन का भुगतान भी चाहता है। एआईई द्वारा सौंपे गए एक ज्ञापन के अनुसार एमएसएमई के लिए आज सबसे बड़ी चिंता समय पर और उचित मूल्य पर कच्चे माल की उपलब्धता है।
ज्ञापन में एसोसिएशन के अध्यक्ष केई रघुनाथन ने कहा, व्यापारी और निर्माता अपनी मनमर्जी और फैंसी कीमतों के साथ बाजार में हेराफेरी कर रहे हैं। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) को उचित मूल्य पर आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति के लिए सूक्ष्म उद्यमों को राशन कार्ड प्रणाली जैसी पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) लागू करनी चाहिए।
एआईई ने कहा कि कीमतों की प्रभावी निगरानी और नियंत्रण के लिए कच्चे माल का मूल्य निर्धारण भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के अधीन होना चाहिए।
एआईई के अनुसार एमएसएमई मंत्रालय को जीवंत और सक्रिय होना चाहिए और सिडबी को इसके अंतर्गत लाया जाना चाहिए।
एआईई की मांगों में पूंजीगत लाभ कर को समाप्त करना है, जो सूक्ष्म उद्यमियों को अपने ऋण खातों को नियमित करने, अपने आपूर्तिकर्ताओं को व्यवस्थित करने और व्यवसाय में पुनर्निवेश करने के लिए अपनी संपत्ति बेचने में सक्षम बनाता है।
एआईई यह भी चाहता है कि केंद्र सरकार सूक्ष्म उद्यमियों के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) छूट की सीमा बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये करे और हर राज्य में एक जीएसटी ट्रिब्यूनल भी स्थापित करे।
इसने सरकार को एमएसएमईआईएनटीईआरएन योजना बनाने का भी सुझाव दिया, जिसके तहत एमएसएमई इकाइयों द्वारा रखे गए इंटर्न को केंद्र सरकार द्वारा प्रति माह 6,000 रुपये का वजीफा दिया जाए।
एसोसिएशन छोटे निर्यातकों को मुद्रा दरों के उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए एक बीमा कवर भी चाहता है।
--आईएएनएस
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