नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। भारत में दो-तिहाई से अधिक ब्लू-कॉलर कर्मचारी प्रति माह 15,000 रुपये से कम कमाते हैं। गुरुवार की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है।पेरोल मैनेजमेंट ऐप सैलेरीबॉक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यस्थल पर महिलाओं ने औसतन 12,398 रुपये कमाए, जो उनके पुरुष सहयोगियों की तुलना में 19 प्रतिशत कम था, जो देश में व्यापक लैंगिक वेतन असमानता को सामने लाता है।
डेटा इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि 15 प्रतिशत से भी कम कर्मचारी 20,000-40,000 रुपये प्रति माह (औसतन 25,000 रुपये) की सीमा में कमाते हैं, इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित करते हुए कि भारतीयों के विशाल बहुमत को रहने योग्य भी वेतन हासिल करने में कठिनाई होती है।
दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश कंपनियां केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम वेतन का भुगतान करती हैं, जो प्रति माह 18,000 रुपये है।
यह रिपोर्ट देश भर के 850 से अधिक जिलों के दस लाख से अधिक कार्यरत कर्मचारियों के डेटाबेस पर आधारित है।
वेतन बॉक्स के सीईओ और सह-संस्थापक निखिल गोयल ने एक बयान में कहा, लंबे समय से, नौकरियों का विषय, या यों कहें, इसकी कमी, भारत के आर्थिक विमर्श पर हावी रही है। जबकि हेडलाइन रोजगार/बेरोजगारी की संख्या पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है, संख्याओं का एक और सेट जो समान रूप से महत्वपूर्ण है, किसको भुगतान कैसे मिलता है इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। अब समय आ गया है कि कंपनियां ऐसे हस्तक्षेप करें जो इस विशाल अंतर को उजागर करें।
रसद और परिवहन, आईटी सॉफ्टवेयर, और सिलाई/ बुटीक ऐसे व्यवसायों के रूप में उभरे हैं जो महिलाओं को सबसे अधिक भुगतान करते हैं, जिसमें प्राथमिक भूमिकाएं टेलीकॉलर्स, प्रलेखन अधिकारियों और भर्ती सहयोगियों की होती हैं।
--आईएएनएस
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