नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार के एक निलंबित अधिकारी द्वारा 16 वर्षीय लड़की के साथ महीनों तक कथित दुष्कर्म के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की तैयारी पर विभिन्न अधिकारियों से सुझाव मांगे, जिनका नाबालिगों से जुड़े मामलों में पालन किया जाना चाहिए।28 अगस्त को उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा और उनकी पत्नी पर एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न और उसके बाद गर्भावस्था खत्म करने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ ने कई अधिकारियों - बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( डीसीपीसीआर), दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू), दिल्ली सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग, दिल्ली पुलिस और दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) - एसओपी का मसौदा तैयार करने के लिए बैठक में भाग लेंगे।
दिल्ली पुलिस के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील रूपाली बंदोपाध्याय ने अदालत को अवगत कराया कि उन्होंने एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है, जिसे अदालत ने रिकॉर्ड पर नहीं बताया और उसे इसे रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा।
पीठ ने डीसीपीसीआर को भी याचिका में एक पक्ष बनाया और मामले में उसके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखने को कहा।
अगली सुनवाई 6 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध की गई है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने और नाबालिग लड़की की पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था। दिल्ली पुलिस ने अदालत को युवा पीड़िता की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति से अवगत कराया था।
21 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में उप निदेशक के पद से निलंबित 51 वर्षीय खाखा और उनकी पत्नी को उनके आवास पर कई घंटों तक पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार किया था।
यह कदम पीड़िता द्वारा शहर के एक अस्पताल में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराने के बाद उठाया गया।
दंपति बुराड़ी इलाके के शक्ति एन्क्लेव का रहने वाला है। आरोपी ने कथित तौर पर 2020 और 2021 के बीच पीड़िता से बार-बार बलात्कार किया। एक पुलिस सूत्र ने कहा कि आरोपी अपने दोस्त की नाबालिग बेटी के साथ महीनों तक दुष्कर्म करता रहा, इस दौरान उसकी पत्नी ने भी कथित तौर पर उसकी मदद की।
सूत्र ने कहा था, "सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब पीड़िता गर्भवती हो गई, तो उसे आरोपी द्वारा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। जब आरोपी ने यह बात अपनी पत्नी को बताई, तो पीड़िता की मदद करने के बजाय, महिला ने अपने बेटे को गर्भपात की गोलियां खरीदने के लिए भेजा, उसने पीड़िता को गोलियां खिला दीं।''
पीड़िता की आरोपी से मुलाकात एक चर्च में हुई थी। बाद में लड़की से दोस्ती करने के बाद आरोपी उसे मदद करने के बहाने अपने घर ले गया। 2020 में पीड़िता के पिता का निधन हो गया, जिसके बाद वह डिप्रेशन में चली गई थी।
--आईएएनएस
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