iGrain India - मुम्बई । भारतीय आयातकों ने दिसम्बर एवं जनवरी शिपमेंट के लिए पाम तेल की खरीद घटाना शुरू कर दिया है क्योंकि निर्यातक देशों में भाव बढ़ने से भारतीय रिफाइनर्स का मार्जिन निगेटिव जोन में जा रहा है।
पिछले कुछ महीनों के दौरान देश में पाम तेल का बेतहाशा आयात हुआ जिससे इसका भारी स्टॉक अब भी मौजूद है। वैसे भी जाड़े के महीनों में पाम तेल में जमने की प्रवृत्ति आ जाती है और वह तरल से ठोस रूप में बदल जाता है इसलिए इसका आयात अक्सर घाटा जाता है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक भारत दुनिया में वनस्पति तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश है इसलिए यहां पाम तेल का आयात घटने से इंडोनेशिया-मलेशिया में इसके बेंचमार्क मूल्य में कमी आ सकती है। मलेशिया में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का वायदा मूल्य बढ़कर पिछले दो माह के उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
समीक्षकों के अनुसार देश के पश्चिमी तट के बंदरगाहों पर दिसम्बर शिपमेंट के लिए क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का पहुंच खर्च फिलहाल 77,500 रुपए प्रति टन बैठ रहा है जिसमें आयात शुल्क शामिल नहीं है।
इसके मुकाबले पूर्व में आयातित सीपीओ का भाव 76,500 रुपए प्रति टन बताया जा रहा है। जुलाई से सितम्बर के दौरान देश में खाद्य तेलों का रिकॉर्ड आयात हुआ जिससे 1 नवम्बर को इसका स्टॉक उछलकर 33 लाख टन पर पहुंच गया जो पिछले साल के स्टॉक 24.60 लाख टन से काफी अधिक था।
खरीदारों को लगता है कि हाल के दिनों में पाम तेल के मूल्य में जो तेजी आई है वह ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रहेगी। इसे देखते हुए वे नया आयात अनुबंध करने में काफी सावधानी बरत रहे हैं।
भारतीय आयातक बंदरगाहों पर मौजूद पाम तेल के पिछले स्टॉक को बेचने का भरसक प्रयास कर रहे हैं और उसके बाद ही नए आयात पर जोर दे सकते हैं।
अभी इसके आयात में पड़ता नहीं बैठ रहा है। पुराना स्टॉक ही कम दाम पर उपलब्धता है इसलिए नई खरीद काफी सोच समझकर की जा रही है। नवम्बर में पाम तेल का आयात घटकर 7.70 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया गया है।