नयी दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)। विद्युत मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि बिजली वितरण कंपनियों द्वारा विद्युत उत्पादन कंपनियों को समय पर भुगतान न किये जाने का खामियाजा पूरा बिजली क्षेत्र भुगत रहा है।मंत्रालय ने कहा कि वह ऐसी योजना तैयार कर रहा है, जिससे उन बिजली वितरण कंपनियों को बकाया राशि का भुगतान करने में आसानी हो।
मंत्रालय का कहना है कि जब बिजली वितरण कंपनियां बिजली उत्पादन कंपनियों को भुगतान नहीं करती हैं, तो इससे उस कंपनी के पूंजी प्रवाह पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बिजली उत्पादन कंपनी ऐसी स्थिति में कोयले की पर्याप्त आपूर्ति के लिए जरूरी प्रावधान नहीं कर पाती और संयंत्र के संचालन के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में भी उसे मुश्किल होने लगती है।
प्राप्ति पोर्टल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 18 मई 2022 तक बिजली वितरण कंपनियों को एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक बकाया राशि का भुगतान करना है। इसमें देर से भुगतान करने के सरचार्ज (एलपीएससी) के रूप में 6,839 करोड़ रुपये की रकम भी शामिल है।
मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियां आसान किस्तों में बकाये का भुगतान कर सकती हैं। इसके तहत सभी बिजली वितरण कंपनियों को राहत देने की योजना बनाई जा रही है। इस योजना के लागू होने के बाद एलपीएससी सहित पूरी बकाया रकम फ्रीज कर दी जाएगी और उत्पादन कंपनियां अधिक सरचार्ज नहीं लगायेंगी।
बिजली वितरण कंपनियां 48 किस्तों तक में पूरी बकाया राशि का भुगतान कर सकती हैं। इससे उत्पादन कंपनियों कोसमय पर निश्चित रकम मिल जायेगी। हालांकि, अगर बिजली वितरण कंपनियां समय पर किस्त का भुगतान नहीं करती हैं, तो उन्हें पूरी बकाया राशि के आधार पर एलपीएससी का भुगतान करना होगा।
इस योजना के लागू होने से बिजली वितरण कंपनियों को 12 से 48 माह में एलपीएससी पर 19,833 करोड़ रुपये की बचत होगी। तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्य, जहां बकाया राशि सबसे अधिक है, उन्हें 4,500 करोड़ रुपये की बचत होगी। उत्तर प्रदेश को करीब 2,500 करोड़ रुपये की बचत होगी।
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