नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से केरल की एक महिला की मां और तीन अन्य को मौत का सामना कर रही उसकी बेटी को बचाने के लिए यमन जाने की अनुमति देने के बारे में उसकी इच्छा पूछी।अदालत ने 2 दिसंबर को हुई एक विशेष सुनवाई में बेटी को फांसी से बचाने के लिए 'ब्लड मनी' देने के लिए यमन की यात्रा की सुविधा की मांग करने वाली मां की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।
एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए यमन में भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई है। मां द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने उन्हें अनुमति नहीं दी और उन्हें तथा उनके साथ आए अन्य लोगों को इस समय वहां न जाने की सलाह दी।
सोमवार को, केंद्र के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि भारत के यमन के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं और उसने वहां अपना दूतावास बंद कर दिया है, और याचिकाकर्ता के लिए वहां जाना वांछनीय नहीं होगा।
केंद्र ने न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ को बताया, “मध्य पूर्व में स्थिति अच्छी नहीं है। अगर वहां याचिकाकर्ता को कुछ हुआ तो भारत मदद नहीं कर पाएगा। हम नहीं चाहते कि वहां फिरौती की मांग की स्थिति उत्पन्न हो।''
दूसरी ओर, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यमन में और वर्तमान में भारत में व्यवसाय चलाने वाले कुछ भारतीयों को वहां यात्रा करने की अनुमति दी जा रही है, और वे कुछ लोगों को जानते हैं जिनके पास वैध यमनी वीजा है और वे पीड़ित परिवार के साथ जाने और ब्लड मनी पर बातचीत करने के इच्छुक हैं।
जवाब में, न्यायमूर्ति प्रसाद ने याचिकाकर्ता से 5 दिसंबर तक एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें महिला के साथ यमन की यात्रा करने के इच्छुक लोगों का विवरण हो और मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को तय की।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ को 2 दिसंबर को बताया गया था कि अब बेटी की जान बचाने का एकमात्र तरीका पीड़ित के परिवार से 'ब्लड मनी' देकर माफी मांगना है।
यमन के सर्वोच्च न्यायालय ने 13 नवंबर को प्रिया द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था।
प्रिया की मां का मानना है कि उनकी बेटी को मौत की सजा से बचाने का एकमात्र तरीका मृतक के परिवार के साथ 'ब्लड मनी' की पेशकश करके बातचीत करना है। हालाँकि, यात्रा प्रतिबंधों के कारण वह फिलहाल ऐसा करने में असमर्थ हैं।
आरोप है कि यमन में नर्स के रूप में काम करने वाली प्रिया ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए तलाल अब्दो महदी को बेहोशी की दवा का इंजेक्शन लगाया था, जो उसके पास था। कथित तौर पर उसे महदी के हाथों दुर्व्यवहार और यातना का सामना करना पड़ा था।
पिछले साल, एक समन्वय पीठ ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि वह यमनी कानून के अनुसार 'ब्लड मनी' का भुगतान करके प्रिया को मौत की सजा से बचाने के लिए पीड़ित के परिवार के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करे। इसके बाद, एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश के खिलाफ अपील को एक खंडपीठ ने खारिज कर दिया।
--आईएएनएस
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