गया, 24 सितंबर (आईएएनएस)। बिहार के गया में स्थित दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में अब हर्बल गार्डन विकसित किया जाएगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि सीयूएसबी प्राचीन भारतीय चिकित्सीय पद्धति को अपनाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। उन्होंने मंगलवार को स्वास्थ्य विज्ञान पीठ के फार्मेसी विभाग द्वारा आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय फार्मा कोविजिलेंस सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही भारतीय चिकित्सा प्रणाली विश्वभर में प्रख्यात है और आज के तकनीकी रूप से विकसित दुनिया में भी पुराने घरेलू नुस्खे काफी उपयोगी हैं। सर्दी, खांसी से लेकर बदहज़मी या कई अन्य तरह की बीमारियां घरेलू नुस्खों और प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली से तवरित रूप से ठीक हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में हमें प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को अपने निजी जीवन में अपनाने के साथ ज़्यादा-से-ज़्यादा विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।
प्रशासनिक भवन में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थियों, प्रध्यापकों एवं कर्मयोगियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सीयूएसबी प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धत्ति अपनाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय में एक विशेष हर्बल गार्डन को विकसित किया जाएगा। इसमें औषधीय पौधे जैसे नीम, तुलसी, मदार, सिया, लहसुन, अदरक, हल्दी, चंदन आदि को उगाया जाएगा।
कुलपति ने कार्यक्रम की उपयोगिता एवं समाज के स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए फार्मेसी के छात्रों एवं सम्बंधित कर्मचारियों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
फार्मेसी विभाग के छात्रों द्वारा आम जनता को दवाओं के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी देने और उसे उचित पटल पर रिपोर्ट करने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य के निहित, एक नुक्कड़-नाटक एवं रैली का आयोजन किया गया। फार्मा कोविजिलेंस, दवाओं की सुरक्षा की निगरानी करने और दवाओं से जुड़ी प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं को रोकने, पता लगाने और आकलन करने की प्रक्रिया है।
--आईएएनएस
एमएनपी/एबीएम