जयपुर, 20 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्थान सरकार ने गोधरा कांड पर आधारित फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' को राज्य में टैक्स फ्री करने का ऐलान किया। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। साथ ही उन्होंने इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक और लेखक को शुभकामनाएं दी।भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी ने बुधवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने राजस्थान सरकार के 'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म टैक्स फ्री करने के फैसला का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा में जिस समय ट्रेन को जलाया गया था, कारसेवक लौट रहे थे। वो कोई दुर्घटना नहीं थी, साजिश के तहत कार्रवाई की गई थी। उस विषय के ऊपर तीन दिन तक पूरे देश में कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है। जब दो तारीख को अहमदाबाद में उसकी प्रतिक्रिया होती है तो पूरे देश में उबाल आ जाता है। उस सच्चाई को लगातार दबाने का प्रयास किया गया। योजनाबद्ध तरीके से वोट की राजनीति की गई।
अरुण चतुर्वेदी ने आगे कहा कि मैं फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' के निर्देशक और लेखक का अभिनंदन करता हूं, क्योंकि उन्होंने देश के सामने सच्चाई लाने का काम किया है। दोनों पक्षों की बातों को भी सामने रखा और जनता को कहा विवेक का इस्तेमाल करिए।
अब तक फिल्में मनोरंजन के लिए होती थीं। अब केवल मनोरंजन नहीं इतिहास में जो कुछ घटित हुआ है उन घटित को होने वाली घटनाओं पर फिल्में बनती हैं। फिल्म से जनता जाने समझे और अपने विवेक का इस्तेमाल करें, इस फिल्म के माध्यम से यह सिद्ध होगा।
राजस्थान सरकार ने अजमेर में आरटीडीसी होटल का नाम बदलकर खादिम होटल से होटल अजयमेरू कर दिया गया है। इसको लेकर भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि देश के मूल इतिहास को पलट के बाहर से आए लोगों ने बदल दिया था। अब वापस से पुनः उस इतिहास को स्थापित करने का काम हमारी सरकार कर रही है। होटल का नाम बदलकर सरकार ने एक बेहतर निर्णय किया है आगे भी इसी तरह के काम होंगे।
बता दें कि राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "हमारी सरकार ने "द साबरमती रिपोर्ट" फिल्म को राजस्थान में कर-मुक्त (टैक्स फ्री) करने का सार्थक निर्णय लिया है। यह फिल्म इतिहास के उस भयावह काल-खंड को यथार्थ रूप में दर्शाती है, जिसे कुछ स्वार्थी तत्वों ने अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए विकृत करने का कुत्सित प्रयास किया। यह फिल्म न केवल तत्कालीन व्यवस्था की वास्तविकता को प्रभावशाली रूप से उजागर करती है, बल्कि उस समय प्रचारित किए गए भ्रामक एवं मिथ्या नैरेटिव का भी खंडन करती है। इस दुर्भाग्यपूर्ण एवं हृदयविदारक घटना को फिल्म में अत्यंत संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया है। यह फिल्म इसलिए भी अवश्य देखी जानी चाहिए क्योंकि अतीत का गहन एवं विवेचनात्मक अध्ययन ही हमें वर्तमान को समझने और भविष्य के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।"
--आईएएनएस
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