पटना, 4 अगस्त (आईएएनएस)। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर है। लेकिन, उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट हो और उसे लेकर चर्चा बिहार में हो तो अजीब बात है। लेकिन, हकीकत यही है। दरअसल, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यूपी के फूलपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चर्चा खूब हो रही है। इसकी शुरुआत ऐसे तो बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने यह कहकर की कि यूपी के कार्यकर्ता नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं।
अब कहा जाने लगा है कि विपक्षी दलों के गठबंधन यानी आईएनडीआईए पर निर्भर करता है कि नीतीश कुमार यूपी से चुनाव लडेंगे या नहीं।
फूलपुर के जातीय समीकरण और लोकसभा चुनाव के परिणाम पर गौर करें तो नीतीश कुमार के वहां से चुनाव लड़ने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा।
माना जाता है कि जदयू की फूलपुर सीट पर नजर नीतीश के स्वजातीय वोटों के कारण है। यहां सबसे ज्यादा पटेल, यादव एवं मुसलमान वोटर हैं।
वैसे, केवल जातीय समीकरण को साधकर भाजपा को मात देना आसान नहीं लगता है। यह भी सही है कि नीतीश अगर यूपी से चुनाव लड़ते हैं तो यह बिहार से बाहर उनका पहला चुनाव होगा। इसमें कोई शक नहीं है कि नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं और बिहार में लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं, लेकिन जदयू यूपी में चुनाव लड़ती जरूर है लेकिन, अब तक बड़ी सफलता नहीं मिल सकी है।
चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हालांकि इस चर्चा को बेकार बताते हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जीवन में कोई चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं, कहिए तो लिखकर दे दें।
उन्होंने आगे कहा कि चुनावों की जितनी समझ मुझे है नीतीश कुमार चुनाव लड़ने की हिम्मत कर ही नहीं सकते हैं। आप फूलपुर की बात कर रहे हैं, बिहार में चुनाव लड़ने की उनके अंदर हिम्मत ही नहीं है। नीतीश चुनाव लड़ेंगे, नीतीश अंतिम बार चुनाव कब लड़े थे किसी को याद है? नीतीश ने चुनाव लड़ना वर्षों पहले छोड़ दिया है।
वर्ष 1962 में राममनोहर लोहिया ने यहां से नेहरू को चुनौती दी थी। जनेश्वर मिश्र एवं पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह भी जीत चुके हैं। अभी तक हुए 20 संसदीय चुनाव में फूलपुर पर सात बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। जवाहरलाल नेहरू यहां से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं, पांच बार सपा जीत चुकी है। 2014 में भाजपा के प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज की थी।
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