तिरुवनंतपुरम, 3 फरवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने यहां शनिवार को कहा कि स्वास्थ्य देखभाल में प्रोबायोटिक्स के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर अधिक अत्याधुनिक शोध की जरूरत है, जिसमें राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) जैसे अग्रणी संस्थान प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। आरजीसीबी में आयोजित 14वें प्रोबायोटिक संगोष्ठी में मुख्य भाषण देते हुए थरूर ने बताया कि आयुर्वेद में आंत की सफाई नियमित उपचार का एक हिस्सा रही है और इसलिए केरल में लोग पुराने दिनों से ही आंत के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक हैं।
उन्होंने कहा, “जैव प्रौद्योगिकी एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। आरजीसीबी बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च में जिस तरह का काम कर रहा है, उसकी गूंज पूरे देश में होगी। थरूर ने कहा, समय की मांग जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में सार्वजनिक-निजी सहयोग है, जहां निजी क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र में अनुसंधान कार्यक्रमों को वित्तपोषित कर सकता है।“
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक एन.के. गांगुली ने कहा कि प्रोबायोटिक्स क्षेत्र ने एक लंबा सफर तय किया है, क्योंकि उन्होंने याद किया कि शुरुआती चरणों के दौरान इस क्षेत्र में अध्ययनों को विशेषज्ञों द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया था, जिन्होंने उनके सुझावों को खारिज कर दिया था, क्योंकि पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण नहीं था।
गांगुली ने कहा, "अब, विज्ञान ने अपना काम कर दिया है और प्रोबायोटिक्स उपचार का एक स्वीकृत हिस्सा बन गया है। यह कुछ बीमारियों के इलाज का एकमात्र तरीका भी बन गया है, जैसे गैर-अल्कोहल फैटी लीवर जो कैंसर का कारण बन सकता है।"
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