नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने शनिवार को कहा कि लेखांकन पेशे को तकनीकी परिवर्तनों के अनुरूप रहना होगा और 21वीं सदी के नए विघटनकारी व्यापार मॉडल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित 21वीं वल्र्ड कांग्रेस ऑफ अकाउंटेंट्स को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह आवश्यक है क्योंकि अर्थव्यवस्था व्यापार करने में नए और नवीन उपकरणों के विकास के साथ बड़े पैमाने पर परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और ये परंपरागत लेखांकन परंपराओं और सोच को चुनौती देंगे।
कई अन्य चुनौतियाँ हैं जो वैश्विक मूल्य श्रृंखला को प्रभावित करती हैं, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन जो एक उदाहरण है कि क्रिप्टो करेंसी का उभरना और अप्राप्य वित्तीय लेनदेन पर कब्जा करने की चुनौतियाँ हैं जो वित्तीय लेखापरीक्षा में एक बड़ी चुनौती होगी।
कैग ने कहा, हमें लागत और समय की देरी के बिना बड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों को पारदर्शी रूप से लागू करने के लिए स्थायी आईटी शासन और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता है। लेखा और लेखापरीक्षा पेशेवरों को सरकार के प्रयासों के पूरक के लिए इन विकासों पर ध्यान देना चाहिए।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम उच्च नैतिक, तकनीकी और पेशेवर मानकों के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। डिजिटल आश्वासन लेखापरीक्षकों को पूरी आबादी के लिए मान्य करने की अनुमति देगा, जो कुशल कार्यप्रवाह में सुधार करेगा और वित्तीय विवरणों में विश्वास पैदा करेगा। इसलिए समय आ गया है कि अकाउंटेंसी पेशे के लिए उच्च गुणवत्ता वाली एकीकृत रिपोटिर्ंग और प्रदर्शन विवरण तैयार करने की दिशा में कदम उठाए जाएं। यह जानकर खुशी हो रही है कि आईसीएआई ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा जैसी उभरती हुई तकनीकों को अपना रहा है और उन उपकरणों पर प्रशिक्षण दे रहा है।
मुर्मू ने कहा कि सैकड़ों घरेलू, छोटे और मध्यम उद्यम और युवा उद्यमी यूनिकॉर्न बना रहे हैं जो एक सकारात्मक संकेत दिखाता है। उन्हें विशेष रूप से अपने शुरुआती दिनों में कानूनी और नियामक अनुपालन के लिए लेखांकन पेशे से मार्गदर्शन और समर्थन की आवश्यकता होगी।
--आईएएनएस
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