iGrain India - नई दिल्ली। कई सप्ताहों तक शांत और सुस्त रहने के बाद अब त्यौहारी सीजन की मांग का सहारा मिलने से चना की कीमतों में तेजी की सुगबुगाहट शुरू हुई है और कुछ महत्वपूर्ण मंडियों में इसका भाव बढ़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर पहुंचा है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि खाद्य महंगाई के ऊंचे ग्राफ से चिंतित सरकार इसकी कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का प्रयास कर सकती है।
चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 5230 रुपए प्रति क्विंटल से 105 रुपए बढ़ाकर इस वर्ष 5335 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया।
केन्द्र सरकार के पास करीब 35-36 लाख टन चना का विशाल स्टॉक मौजूद है और वह इसे घटाने के लिए तरह-तरह के प्रयास भी कर रही है। खुले बाजार में यदि इस स्टॉक के एक भाग को उतारने का निर्णय लिया गया तो कीमतों पर असर पड़ सकता है।
सरकार अकस्मात निर्णय लेने के लिए जानी जाती है इसलिए यह बताना तो मुश्किल है कि सरकारी चना की बिक्री कल से शुरू होगी लेकिन इतना अवश्य माना जा सकता है कि चना का भाव अरहर (तुवर) या उड़द की भांति नहीं बढ़ने दिया जाएगा।
इसका कारण यह है कि तुवर एवं उड़द का घरेलू उत्पादन कम हुआ, पिछला स्टॉक सीमित था, सरकार के पास भी ज्यादा स्टॉक नहीं था और विदेशी माल के आयात पर निर्भरता काफी बढ़ गई थी जिससे उसके दाम में तेजी पर अंकुश लगाने में सरकार को मशक्कत करनी पड़ रही है लेकिन चना के साथ ऐसा नहीं है।
इसका विशाल स्टॉक उपलब्ध है और मंडियों में आवक भी लगभग सामान्य है। फिर भी कुछ समय तक चना के दाम में कुछ मजबूती का माहौल बरकरार रहने की उम्मीद की जा सकती है।