नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कावेरी विवाद को लेकर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय मंत्रियों और राज्य के संसद सदस्यों से मुलाकात की। उन्हाेंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है। बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए सीएम सिद्दारमैया ने कहा कि कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और तमिलनाडु को पानी छोड़ने के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शाम को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के साथ बैठक होगी और बैठक के बाद विवाद पर भविष्य के कदम के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के पास दोनों राज्यों को बुलाने और उनकी बात सुनने का अधिकार है। इस पृष्ठभूमि में, हमने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है।”
इससे पहले बैठक को संबोधित करते हुए सीएम सिद्दारमैया ने कहा कि संकट फार्मूले के अभाव में कावेरी नदी जल बंटवारा राज्य के लिए संकट बन गया है। उन्होंने कहा कि सवाल पानी छोड़ने का नहीं है, क्योंकि छोड़ने के लिए पानी ही नहीं है।
सीएम सिद्दारमैया ने कहा, “हम सभी को राज्य की भूमि, भाषा, पानी और संस्कृति को बचाने और संरक्षित करने के लिए दलगत राजनीति को छोड़कर एकजुट होना चाहिए। हमें पीने के लिए 33 टीएमसी, खड़ी फसलों की सुरक्षा के लिए 70 टीएमसी और उद्योगों के लिए 3 टीएमसी पानी की आवश्यकता होनी चाहिए। राज्य को हर हाल में 106 टीएमसी पानी की जरूरत है। ऐसे में राज्य के पास महज 53 टीएमसी का ही भंडारण है। ऐसे में तमिलनाडु को छोड़ने के लिए पानी नहीं है।''
उन्होंने कहा, “राज्य में अगस्त में बारिश नहीं हुई है। कर्नाटक राज्य संकट में है।''
सीएम सिद्दारमैया ने कहा,''ऐसे में लोगों के हितों की रक्षा के लिए मेकेदातु परियोजना अनिवार्य है। हमारी जमीन पर पानी जमा करने और बिजली पैदा करने के लिए मेकेदातु परियोजना की जरूरत है। भविष्य में इस तरह की स्थिति से निपटना भी आवश्यक है।''
उन्होंने कहा,“हमने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री को दो बार पत्र लिखा है और मौजूदा स्थिति को व्यापक रूप से समझाया है। हमने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए प्रधानमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिलने का समय भी मांगा है। हमें अपने भविष्य के कदमों पर वैज्ञानिक तरीके से चर्चा करनी होगी।"
डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने कहा कि जब राज्य के हितों की बात हो तो राजनीति नहीं की जानी चाहिए। सभी राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों को एकजुट होकर केंद्रीय मंत्री और केंद्र सरकार के समक्ष मांग रखनी चाहिए।
बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोड़कर राज्य के सभी निर्वाचित सांसद मौजूद थे।
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