iGrain India - नई दिल्ली । चालू मार्केटिंग सीजन के आरंभिक महीनों में भारत से ऑयल मील का बेहतर निर्यात हो रहा था लेकिन बाद में इसका प्रदर्शन कमजोर पड़ने लगा।
नई दिल्ली में इवपा द्वारा 4-5 अगस्त 2023 को आयोजित ग्लोबल वैजिटेबल ऑयल राउण्ड टेबल कांफ्रेंस में वक्ताओं का कहना था कि वैश्विक बाजार में भाव नरम पड़ने से खासकर भारतीय सोयामील के निर्यात शिपमेंट की गति धीमी पड़ गई क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण आयातक देशों में इसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता घट गई।
खाद्य तेलों का भाव नरम पड़ने से मिलर्स द्वारा तिलहनों की क्रशिंग भी घटा दी गई। केन्द्र सरकार ने डि ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर अब प्रतिबंध लगा दिया है जिससे आगामी समय में ऑयल मील का कुल निर्यात और भी घट सकता है।
मानसून की वर्षा में देर होने से महाराष्ट्र में खरीफ कालीन तिलहन फसलों और खासकर सोयाबीन की बिजाई प्रभावित हुई है। वैसे मानसून की वर्षा मध्य प्रदेश में सामान्य तथा राजस्थान एवं गुजरात में सामान्य औसत से अधिक हुई है।
तिलहन-तेल क्षेत्र के उद्यमी एवं कारोबारी सरकारी बिजाई आंकड़ों से सहमत नहीं हैं। समीक्षकों के अनुसार महाराष्ट्र में दलहनों (खासकर तुवर) एवं कपास का भाव ऊंचा रहने से सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने की संभावना है।
इतना ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में भी किसान सोयाबीन के बजाए अन्य फसलों की खेती के प्रति आकर्षित हो सकते हैं क्योंकि इस तिलहन फसल का भाव काफी घट गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से कम रहने की संभावना है जबकि सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि इसका रकबा काफी बढ़ गया है।
विश्लेषकों के मुताबिक मध्य प्रदेश में मौसम की हालत लगभग सामान्य या अनुकूल होने से सोयाबीन का उत्पादन गत वर्ष के लगभग बराबर या मामूली कम हो सकता है।
सोयाबीन की क्रशिंग मुख्यत: सोयामील की निर्यात मांग एवं सोया तेल की घरेलू खपत पर निर्भर करेगी। अक्टूबर से इसका नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होने वाला है।
पाम तेल की वैश्विक उपलब्धता अच्छी तथा कीमत नरम रहने से भारत में इसका आयात बढ़ने की संभावना है। विश्लेषकों के मुताबिक अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव होने पर अक्टूबर-नवम्बर 2023 में खाद्य तेलों के वैश्विक बाजार मूल्य में थोड़ी तेजी आ सकती है।