अयोध्या, 17 फरवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार अयोध्या के राम मंदिर में रामनवमी मनाई जा रही है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि श्री रामनवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया। सुबह से ही भक्तों की उमड़ी भीड़ है। रामनवमी के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला के दर्शन करने के लिए पहुंचे हैं। रामनवमी के अवसर पर अयोध्या में राम मंदिर के साथ ही हनुमानगढ़ी में भी बड़ी संख्या में भक्तों की रौनक है।
रामनवमी पर अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अयोध्या रेंज के आईजी प्रवीण कुमार ने बताया, "व्यवस्था पहले से ही की गई है। हमने इलाकों को दो सेक्टर में बांटा है।"
दर्शन सुबह 3:30 बजे से शुरू हो गए हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने एक्स पर तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, "श्री रामनवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।"
धर्म के जानकारों का कहना है कि बुधवार दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में रामलला का 3 मिनट तक सूर्य तिलक होगा। सुबह 3:30 बजे से मंदिर के कपाट खुल गए हैं। हालांकि, आम दिनों में कपाट 6.30 बजे खुलते हैं।
श्रद्धालु रात 11.30 बजे तक (20 घंटे) दर्शन कर सकेंगे। सुबह कपाट खुलने के बाद रामलला का दूध से अभिषेक, फिर श्रृंगार किया गया। इस दौरान भक्त रामलला का दर्शन भी करते रहे। सुबह 5 बजे मंगला आरती हुई। राम जन्मभूमि परिसर में लंबी लाइनें लगी हैं।
राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ पर काफी भीड़ है। शयन आरती के बाद रात 11:30 बजे रामलला के कपाट बंद किए जाएंगे।
उधर, रामनवमी पर 40 रामभक्त जयपुर से 700 किलोमीटर पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे हैं। रामभक्तों का कहना है कि 21 मार्च को सिर पर 750 ग्राम चांदी की चरण पादुका, अखंड ज्योति और ध्वजा लेकर रवाना हुए थे। हम सभी भगवान का नाम लेते हुए अयोध्या पहुंचे।
आज चरण पादुका को नगर भ्रमण करवाया। हनुमानगढ़ी ले गए। फिर सरयू में स्नान कराया। इसके बाद रामलला को समर्पित करेंगे।
रामलला को आज गुलाबी वस्त्र पहनाए गए हैं। जिस पर सूर्य का चिह्न बना है। उन्हें सोने का मुकुट, हार आदि पहनाया गया है, जिसमें हीरा-पन्ना, माणिक्य, नीलम जैसे रतन जड़े हैं।
रामलला की पूजा में गुलाब, कमल, गेंदा, चंपा, चमेली जैसे फूलों का प्रयोग किया गया है। इन फूलों से बने दिव्य हार भी उनको पहनाए गए हैं।
--आईएएनएस
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