कोच्चि, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत सरकार के 'ऑपरेशन अजय' के तहत संघर्षग्रस्त इजरायल से निकाले जाने वाले पहले जत्थे में शामिल पांच केरलवासी शुक्रवार को अपने घर लौट आए।इजरायल से दिल्ली तक की उनकी यात्रा निःशुल्क थी, केरल के विभिन्न हवाई अड्डों के लिए उड़ान भरने वालों को टिकट खरीदना पड़ा।
दिल्ली में उतरने वाली पहली उड़ान में केरल के सात लोग थे, जिनमें से पांच कोच्चि में उतरे।
पलक्कड़ की रहने वाली एक महिला के पास भारतीय दूतावास के अधिकारियों के बारे में बोलने के लिए केवल अच्छे शब्द थे। उन्होंने कहा, "वे अपनी प्रतिक्रिया में बहुत तत्पर थे और हमें पूर्ण नैतिक समर्थन देने के लिए हमेशा उपलब्ध थे।"
मलप्पुरम की रहने वाली एक महिला पीएचडी छात्रा ने कहा कि यदि उसके माता-पिता की चिंता नहीं होती, तो वह वहीं रुक जाती। पिछले शनिवार को हमें पता चला कि हमारे क्षेत्र में रॉकेट दागे गए हैं।
लेकिन, तब चीजें सामान्य थी और हमारा विश्वविद्यालय भी सामान्य रूप से काम कर रहा था। इजरायल में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं और जब कोई अलार्म बजता है, तो हम सभी बंकरों में शरण लेते हैं। मैं अपने माता-पिता के लिए लौट आई हूं।
प्रसारित की जा रही खबरें गाजा पट्टी और उसके आसपास और लेबनानी सीमा पर होने वाली कार्रवाई के बारे में हैं। इजरायल में काम करने वाले एक व्यक्ति ने कहा, वह वहां चीजें शांत होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। वह वापस लौटना चाहते है।
उन्होंने कहा, "इन दो जगहों के अलावा, इजरायल के अन्य हिस्सों में आम तौर पर जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ है।"
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अनुसार, संघर्षग्रस्त राष्ट्र में केरल के लगभग 7,000 लोग हैं। उनमें से एक अच्छी संख्या महिला नर्सों की है। उनमें छात्रों के अलावा वहां कार्यरत अन्य लोग भी शामिल है।
--आईएएनएस
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