नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। उदारवादी, ऊर्जावान, उज्ज्वल और उत्साही लोकतंत्र का तमगा लेकर इतराने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार क्रम और अब परिणाम पर नजर डालें तो आपको पता चल जाएगा कि भारत का लोकतंत्र इससे कितना ज्यादा बेहतर है। दरअसल, इस बार अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह से कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में वहां के पत्रकार, खिलाड़ी, उद्योगपति और गणमान्य उतर आए, उसका एक प्रतिशत भी भारत में हो तो यहां 'गोदी मीडिया' और 'भक्त' का तमगा बंटने लगता है।
अपनी पसंद के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने का अमेरिकी मीडिया का इतिहास काफी रोचक और पुराना रहा है। लेकिन, इस बार तो इसमें एक नया ही झुकाव देखने को मिला। जब संस्थानों के पत्रकार भी राष्ट्रपति उम्मीदवारों के पक्षकार बन गए। यहां चुनाव प्रचार के दौरान दिन-ब-दिन ट्रंप की ओर मीडिया का झुकाव वहां के चुनाव को प्रभावित करता रहा।
इस राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस के समर्थन में करीब 80 मीडिया समूह जो शुरुआत में खड़े थे, वहीं 10 से कुछ कम ने डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन करने की अपील की थी। लेकिन, चुनाव प्रचार के बढ़ते-बढ़ते यह आंकड़ा बदलता चला गया। मतलब साफ था कि उदार लोकतंत्र की झंडाबरदार समझी जाने वाली यहां की मीडिया भी राष्ट्रपति चुनाव में निष्पक्ष नहीं रही थी।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, द न्यू यॉर्कर जैसे बड़े अखबार और पत्रिका समूहों के साथ बोस्टन ग्लोब, सिएटल टाइम्स, डेनवेर पोस्ट, लॉस एंजिलिस सेंटिनेल, सैन एंटोनिया एक्सप्रेस तो पहले कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनाने को लेकर संपादकीय तक लिख चुके थे। कमला हैरिस का समर्थन करते हुए इनमें से कई मीडिया समूह तो उन्हें इकलौता देशभक्त उम्मीदवार बता रहे थे।
वहीं, न्यूयॉर्क पोस्ट, वाशिंगटन टाइम्स और लास वेगास रिव्यू जनरल जैसे समाचार संस्थान तो सीधे डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में खड़े थे। अमेरिका चुनाव में शायद कई दशक के बाद ऐसा हुआ कि कुछ प्रतिष्ठित मीडिया समूह किसी भी उम्मीदवार को समर्थन देने से बचते नजर आए। द वाशिंगटन पोस्ट और लॉस एंजिलिस टाइम्स जैसे अखबार इसमें शामिल थे। यानी चौंकाने वाली बात यह रही कि जो मीडिया समूह किसी न किसी को समर्थन करते पहले नजर आते थे, इस बार इस चुनाव में तटस्थ होने की बात करते दिखे।
लॉस एंजिलिस टाइम्स तो इससे पहले डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बराक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन और जो बाइडेन को समर्थन कर चुके हैं। लेकिन, इस बार अखबार के तटस्थ रूख की आलोचना भी हुई और अखबार के एडिटोरियल बोर्ड की मुखिया मैरियल ग्राजा ने इस्तीफा भी दे दिया। वहीं, 40 साल बाद वाशिंगटन पोस्ट का किसी भी उम्मीदवार को समर्थन न करने के फैसले की अखबार के भीतर और बाहर, दोनों ही जगह आलोचना हुई।
अखबार के इस फैसले के बाद वाशिंगटन पोस्ट के बड़े संपादक रॉबर्ट कागन ने इस्तीफा दे दिया। वहीं, अखबार के कई स्तंभकारों ने एक लेख लिखकर अखबार के इस फैसले की निंदा की। दरअसल, इसके पीछे की वजह द वाशिंगटन पोस्ट के मालिक जेफ बेजोस हैं, जो ई-कॉमर्स अमेजन के भी संस्थापक हैं।
अब अमेरिका के इस चुनाव में उद्योगपतियों का समर्थन देखिए तो पता चलेगा एलन मस्क इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में प्रचार करते और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का भरपूर इस्तेमाल करते नजर आए। वह इस चुनाव में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से ज्यादा उत्साहित नजर आ रहे थे। जबकि, कुछ समय पहले तक मस्क और ट्रंप एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे। टेस्ला (NASDAQ:TSLA) और स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का इंटरव्यू भी लिया था।
इसके साथ ही वहां के प्रमुख चेहरों को देखें जो कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में मैदान में उतर आए। इनमें कमला हैरिस का समर्थन हॉलीवुड के कलाकार लियोनार्डो डिकैप्रियो, जूलिया रॉबर्ट्स, जेनिफर लॉरेंस, टेलर स्विफ्ट, ओपरा विन्फ़्रे, लेडी गागा, कैटी पेरी, क्रिस्टीना एगुइलेरा के द्वारा किया जा रहा था तो वहीं जॉन वोइट, जिम केविजल, मेल गिब्सन, ज़ेचरी लेवी, रोसीन्ने बर्र जैसे कलाकार डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन में खड़े दिखे।
इसके साथ ही माइक टायसन और हल्क होगन जैसे खिलाड़ी यहां डोनाल्ड ट्रंप को अपना समर्थन देते नजर आए। ऐसे में अगर इस तरह का समर्थन भारत में किसी पार्टी या राजनेता को मिल जाता तो अभी तक इनके नाम पर 'गोदी मीडिया' और 'भक्त' का तमगा बंटने लगता या फिर यह साफ दिखने लगा है कि अमेरिका जैसे लोकतंत्र के सबसे बड़े झंडाबरदार देश में भी 'गोदी मीडिया' और 'भक्त' की बड़ी जमात है जो चुनाव में किसी पक्ष के समर्थन में उतरते हैं और मुखर होकर अपने विचार रखते हैं।
--आईएएनएस
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