iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि घरेलू प्रभाग में खाद्यान्न की कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के लिए केन्द्रीय पूल में उपलब्ध अनाज के अधिशेष स्टॉक की बिक्री जारी रखी जाएगी। बाजार हस्तक्षेप कार्यक्रम के बरकरार रखने के लिए केन्द्रीय पूल में दोगुने से ज्यादा खाद्यान्न का स्टॉक उपलब्ध है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए गेहूं तथा चावल की बिक्री की जा रही है जिसका उद्देश्य उच्चतम संभग हद तक खाद्यान्न में महंगाई को नियंत्रित करता है।
एफसीआई के सीएमडी के अनुसार 1 जनवरी 2024 को निगम के पास 344.90 लाख टन चावल एवं गेहूं का स्टॉक मौजूद था जबकि राइस मिलर्स से 332.70 लाख टन चावल का स्टॉक प्राप्त होना बाकी था। इस अवधि के दौरान केन्द्रीय पूल में कम से कम 210.40 लाख टन कल्याण का स्टॉक मौजदू रहना अनिवार्य है।
सीएमडी के अनुसार सरकार ने 31 मार्च 2024 तक खुले बाजार बिक्री योजना के तहत गेहूं की बिक्री जारी रखने की घोषणा की है। खाद्य निगम के सीएमडी का कहना है कि गेहूं की खरीद में बल्क खरीदारों की ओर से अब तक उत्साहवर्द्धक रिस्पांस प्राप्त हो रहा है और खासकर फ्लोर मिलर्स तथा प्रोसेसर्स इसकी खरीद में जबरदस्त दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
लेकिन चावल की खरीद ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं है। खुले बाजार बिक्री योजना के तहत गेहूं की शानदार बिक्री होने से इसकी कीमतों में काफी हद तक स्थिरता का वातावरण बना हुआ है।
खाद्य निगम मध्य मार्च तक गेहूं की बिक्री जारी रखने का प्रयास करेगा जिससे इसका स्टॉक घटकर न्यूनतम अनिवार्य स्तर 74.60 लाख टन के आसपास आ सकता है।
1 जनवरी को खाद्य निगम के पास 164.70 लाख टन गेहूं का स्टॉक जो न्यूनतम बफर स्टॉक की जरूरत 138 लाख टन से ज्यादा था। 1 जनवरी को मौजूद स्टॉक वर्ष 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर था।
3 जनवरी 2024 को ओएमएसएस के तहत 3.62 लाख टन गेहूं की बिक्री जो अब तक की सबसे ऊंची मात्रा रही। मालूम हो कि इस बार 28 जून 2023 से गेहूं की बिक्री शुरू हुई थी।
गेहूं की बिजाई अंतिम चरण में पहुंच गई है और इसका क्षेत्रफल पिछले सीजन के आसपास ही रहने की संभावना है। अब सबका ध्यान मौसम पर केन्द्रित हो गया है। फरवरी-मार्च का मौसम इसकी फसल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगा।